ने कहा कि कई सरकारी उपक्रमो एवं विभागीय कर्मचारियों अधिकारियों का इस्तेमाल के बावजूद भी सत्ताधारी भाजपा जदयू और लोजपा तीन तीन पार्टियां मिलकर भी संकल्प रैली को सफल नहीं बना सकी,एनडीए के दो सौ से अधिक विधायक, विधानपार्षद दर्जनों केंद्रीय व राज्य सरकार के मंत्री दर्जनो सांसदों को बिहार की जनता ने यह संदेश देने का काम किया है कि यह उनकी अंतिम पारी है।
ललन ने कहा की पटना के गांधी मैदान में आयोजित एनडीए की रैली को बिहार के युवाओं, छात्रों,गरीब कमजोर अति पिछड़ों पिछड़ों सहित सभी वर्ग के लोगों ने चुनाव के पूर्व ही नरेंद्र मोदी को अस्वीकार कर दिया,किसी प्रकार के औद्योगिक विकास व निवेश का न होना, बिहार के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को नौकरी व रोजगार न मिलना, मजदूरों और किसानों का पलायन का न रुकना, साथ ही साथ बिहार में बिगड़ती कानून व्यवस्था, नोटबन्दी और जीएसटी जैसे जनविरोधी फैसले से व्यवसायियों के मन मे मोदी सरकार के प्रति डर का माहौल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार से किए हुए एक भी वादों को पूरा न किया जाना , सेना और जवानों के नाम पर निम्न स्तरीय राजनीति करना जैसे विषयो को लेकर बिहार का सभी समाज व समुदाय के लोग मोदी सरकार से मुक्ति पाने को तैयार बैठे हैं, इसी का नतीजा है कि सरकारी दलों द्वारा आयोजित इस रैली में लोग नहीं आये। बीते तीन फरवरी को अकेली कांग्रेस की रैली में बिना कोई साधन संसाधन के लाखों लाख लोग राहुल गांधी को सुनने के लिए जमा हुए थे,यह कांग्रेस और राहुल गांधी के प्रति प्रदेश व देश की जनता का बढ़ता विश्वास का सबसे बड़ा उदाहरण है ।