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बीजेपी ने बजट को बताया सर्जिकल स्ट्राइक, वहीं विपक्ष ने इसे झूठ की टोकरी दिया करार

बीजेपी ने अगले वित्त वर्ष के बजट को जहां सर्जिकल स्ट्राइक जैसा बताया वहीं विपक्ष ने इसे झूठ की टोकरी करार दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता और बि

बीजेपी ने अगले वित्त वर्ष के बजट को जहां सर्जिकल स्ट्राइक जैसा बताया वहीं विपक्ष ने इसे झूठ की टोकरी करार दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पेश आम बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में इसे सर्जिकल स्ट्राइक जैसा बताया और कहा कि इसमें आम लोगों के लिए राहत के किये गये उपाय से विपक्ष की बोलती बंद हो गई है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सर्वस्पर्शी बजट में किसान, श्रमिक, असंगठित क्षेत्रों के मजदूर एवं मध्यम वर्ग का खास ख्याल रखा गया है। उन्होंने कहा कि इसका सर्वाधिक लाभ बिहार जैसे राज्य को मिलेगा जहां 91 प्रतिशत लघु एवं सीमांत किसान हैं।

वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के आधिकारिक ट्वीट हैंडल पर ट्वीट कर कहा गया, ‘‘झूठ की टोकरी जुमलों के बाजार में सजाने का कोई फायदा नहीं। लोग अब जुमले सुनते ही नहीं बल्कि समझते भी हैं। समझ कर मुस्कुराते ही नहीं बल्कि ठहाका भी लगाते हैं। आखिरी जुमला बजट।

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महागठबंधन के घटक राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने नरेंद, मोदी सरकार के अंतरिम बजट को उनका अंतिम बजट बताया और कहा है कि बजट युवा विरोधी और किसानों को गुमराह करने वाला है।

उन्होंने कहा कि इस बजट में गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की कोई कोशिश नहीं की गई है। साथ ही न तो रोजगार सृजन के उपायों का कोई प्रस्ताव है और न किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए कृषि उत्पादन पर आधारित उद्योगों की स्थापना की कोई व्यवस्था की गई है।

श्री कुशवाहा ने कहा कि वर्तमान मोदी सरकार की यह बजट आखिरी बजट सिद्ध होगी क्योंकि इसमें देश की 95 प्रतिशत आबादी वाले अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ वर्ग, अल्पसंख्यक, शोषित, वंचित एवं गरीब लोगों के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि नरेंद, मोदी सरकार का यह आखिरी जुमला साबित होगा।

वहीं, राजद के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि बजट के नाम पर केवल जुमलेबाजी की गई है। उन्होंने कहा कि लोगों को उम्मीद थी कि बजट में पिछले 56 महीनों में देश की जनता से किये गये वादों को मूर्त रूप दिया जायेगा लेकिन बजट में आगामी चुनाव को देखते हुए पहले की तरह केवल जुमलेबाजी ही की गई है।

कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने पांच साल के घावों पर मरहम लगाने वाला चुनावी बजट पेश किया है, जो एक छलावा मात्र है क्योंकि इस बजट की मियाद मात्र तीन महीने ही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले पांच पूर्ण बजटों से देशवासियों को रुलाने के अलावे कुछ नहीं किया। अब इस चुनावी वर्ष में लोकलुभावन अंतरिम बजट की असलियत भी बहुत जल्द जनता के सामने आ जायेगी। इस बजट में युवाओं, बेरोजगारों के लिये जुमलों के अलावा कुछ नहीं है।

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श्री सिंह ने कहा कि रेल बजट के नाम पर देशवासियों को निराश किया गया है। प्रधानमंत्री किसान योजना मात्र लॉलीपॉप है क्योंकि इससे लाभान्वित होने वाले किसानों को मात्र 17 रुपये रोजाना की ही सहायता मिलेगी। यह किसानों को ठगने का काम है। आयकर स्लैब भी वही पुराना है। इसके अलावा ग्रामीण विद्युतीकरण, प्रधानमंत्री आवास योजना, एलईडी बल्ब वितरण, कार्यशील एम्स के आंकड़ विश्वसनीय नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि जहां मोदी सरकार को अपने शेष बचे कार्यकाल के लिये लेखानुदान पेश करने चाहिये थे लेकिन पूर्ण बजट पेश किया गया, जो स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्पराओं का उल्लंघन है।

बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ। मदन मोहन झा ने बजट को दिशाहीन बताया और कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी पराजय का सामना करना पड़ और अब केन्द्र की भाजपा सरकार का कार्यकाल समाप्ति पर है। इसलिए, बजट में किसानों, छात्र, नौजवान और मजदूर को लुभाने की कोशिश की गयी है।

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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि यह बजट देश के आंदोलनरत मजदूरों-किसानों-बेरोजगारों-स्कीम वर्करों के साथ छलावा है। इसमें दो हेक्टेयर यानि पांच एकड़ जमीन वाले किसानों को 6000 रुपये वार्षिक अनुदान का आश्वासन दिया गया है जबकि देश के किसान लागत मूल्य के डेढ़ गुणा कीमत और तमाम कर्जों की माफी पर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। बजट में इसकी घोर उपेक्षा करके मोदी सरकार ने अपने किसान विरोधी चरित्र का ही परिचय दिया है।

श्री कुणाल ने कहा कि अंतरिम बजट में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को पेंशन देने की बात भी महज छलावा है। इस योजना की हकीकत यह है कि जब कोई मजदूर 18 साल की उम, से प्रतिमाह 55 रुपये और 28 साल के बाद प्रतिमाह जब 100 रुपये जमा करेगा तब 60 साल की उम, में जाकर सरकार उसे तीन हजार रुपये पेंशन देगी। यह घोर मजाक है।

ऑल इंडिया पुलिस गैलेंट्री मेडल अवार्डीज वेलफेयर एसोसिएशन ने कहा कि आम बजट में फौजियों के बजट में इजाफा किया गया है, जो देश की सुरक्षा के हित में उल्लेखनीय कदम है। लेकिन, बजट में अर्द्धसैनिक बल एवं पुलिसकर्मियों को प्रोत्साहित करने वाली कल्याणकारी योजना एवं सहायता की घोषणा न करना दुखद है।

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