पटना: केंद्र सरकार द्वारा 2000 के नोट पर लगाए गये रोक को सियासी नौटंकी बताते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि कर्नाटक चुनाव में मिली शिकस्त ने भाजपा का मानसिक संतुलन बिगाड़ कर रख दिया है. खुद को अजेय समझने वाली यह पार्टी अपनी पराजय को पचा नहीं पा रही है. इन्हें समझ में ही नहीं आ रहा है कि करें तो क्या करें. इसी बौखलाहट में इन्होने 2000 के नोटों को बंद करने का फरमान जारी कर दिया है. इन्हें लगता है कि इससे जनता का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटक जाएगा और वह लोग भाजपा की नाकामियों को भूल जायेंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा ने जब पिछली बार नोटबंदी की थी तब कई लोगों को लगा था कि इससे काले धन पर चोट पड़ेगी और भ्रष्टाचारी पकडे जायेंगे. भाजपा के कई नेताओं ने ऐसा दावा भी किया था. मोदी सरकार के इस तुगलकी फरमान से आम जनता को काफी तकलीफें झेलनी पड़ी. लोगों को अपना काम धंधा छोड़ कर नोट बदलने के लिए कड़ी धूप में कई दिनों तक लाइन में लगना पड़ा. कुछ लोगों की तो लाइन में लगे हुए ही मौत हो गयी. लेकिन फिर भी लोगों ने सरकार के वादे पर भरोसा बनाये रखा. लेकिन यह भी वादे मोदी सरकार के अन्य वादों की तरह हवा-हवाई बन कर रह गये. बैंकों में 99 प्रतिशत से अधिक रकम लौट कर चली आई. न तो काला धन पकड़ा गया और न ही भ्रष्टाचारी. जदयू प्रवक्ता ने कहा कि वास्तव में देश की जनता आज मंहगाई, बेरोजगारी, गिरती अर्थव्यस्था, आर्थिक सुरक्षा जैसे वजहों से परेशान है. उसे समझ में आ गया है कि भाजपा सपनो की सौदागर है. इनका विकास सिर्फ इनके मित्र पूंजीपतियों के दरवाजों तक ही सीमित रहने वाला है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब भारत में भी पडोसी देशों की तरह खाने-पीने की चीजों के लिए मारामारी होने लगेगी. जनता जान चुकी है कि भाजपा के पास देने के लिए केवल उन्माद है. यही वजह है कि जनता ने कर्नाटक में इन्हें धूल चटा दिया. भाजपा यह जान नोटबंदी से अब उन्हें कोई लाभ नहीं मिलने वाला. जनता उनकी हकीकत जान चुकी है और इस करनी का फल उन्हें आगामी चुनावों में जरुर मिलेगा.