गया : केवल पूजा पाठ से किसी धर्म को जीवित नहीं रखा जा सकता, इसके लिए पठन- पाठन को जारी रखना जरुरी है। जिससे उस पर समय-समय पर सार्थक तर्क भी हो सके। यही कारण है कि हम आज 26 सौ वर्ष की परंपरा को जीवित रखने मे सफल हैं। उक्त बातें तिब्बतों के धर्मगुरु दलाई लामा ने बुधवार को महाबोधि मंदिर से करीब तीन किलोमीटर दूर भोला बिगहा गांव में कृतिगिर्ता चैरिटेबल सोसाएटी की आधारशिला रखने के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के त्रिपिटक में दिये उपदेश को यदि आलमारी में बन्द कर रखेंगे तो उससे कोई लाभ नहीं होगा।
परम पावन दलाई लामा महाबोधि मंदिर से करीब तीन किलोमीटर दूर भोला बिगहा के पास प्रकृति के सौदर्यपूर्ण वातावरण में हिमाचल प्रदेश के गदेन चिवा मोस्ट साउथ हुबली बौद्ध मठ के कृतिगिर्ता चैरिटेबल सोसाएटी द्वारा कृति गढ़ समिलिंग की आधारशिला रखने के बाद न्याय नितार्थ ग्रंथ पर आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। यह संगोष्ठी चोंड़ाखापा के 600वें वर्षगाठ पर आयोजित किया गया है। यह संगोष्ठी चार दिनों तक चलेगा। जिसमें न्यायनितार्थ ग्रंथ पर 22 विद्वान विभिन्न सत्रों में अपने अपने बिचार रखेंगे। करीब 5 सौ के संख्या में जुटे विद्वान इस पर तर्क वितर्क करेंगे। इसमें कुछ भिक्षूणी भी शामिल है। ज्ञात हो कि कृतिगिर्ता चैरिटेबल ट्स्र्ट यहा बौद्ध मठ के साथ एक उच्च स्तरीय बौद्ध अध्ययन केंद्र का भी निर्माण कर रहा है।