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जाति आधारित  नहीं वर्ण आधारित जनगणना ही जनहित और राष्ट्रहित में कारगर होगा – जे.एन. त्रिवेदी

जातिगत जनगणना का औचित्य इसलिए भी प्रधानमंत्री के लिए विचारणीय होगा क्योंकि यह एक अहम राष्ट्रीय मुद्दा है,न कि केवल राजनीतिक मुद्दा, जिसपर सम्पूर्ण देशवासियों के प्रतिनिधियों की सहमति होनी चाहिए।

पटना, 25  अगस्त 2021, जातिगत जनगणना के लिए देश के प्रधानमंत्री से बिहार के मुख्यमंत्री सहित दश दलों के नेताओं की वार्ता के आधार पर जातिगत जनगणना का औचित्य इसलिए भी  प्रधानमंत्री के लिए विचारणीय होगा क्योंकि यह एक अहम राष्ट्रीय मुद्दा है,न कि केवल राजनीतिक मुद्दा,  जिसपर सम्पूर्ण देशवासियों के प्रतिनिधियों की सहमति होनी चाहिए।
इस आशय की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वसुधैव कुटुम्बकम परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. एन. त्रिवेदी ने कहा-  बिहार के जिन नेताओ ने जातिगत जनगणना के लिए अपना पक्ष जनहित के नाम पर रखा है उनमें एक चौथाई जनाधार वाले नेता नहीं हैं। 
 श्री त्रिवेदी ने कहा कि यदि सम्पूर्ण देश से विधायक, सांसद और मंत्री का भी समर्थन जाति आधारित जनगणना को मिल जाता है तो भी उसे 50 प्रतिशत समर्थन ही माना जाएगा। शेष 50 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व वसुधैव कुटुम्बकम जैसे गैर राजनीतिक संगठन के लोग हैं। इसलिए जो प्रजातांत्रिक व्यवस्था में जातिगत जनगणना को जनहित और राष्ट्रहित के अनुकूल नहीं मानते है उनका भी तर्क विचार बिन्दुओं में शामिल होना चाहिए। इस आधार पर प्रधानमंत्री का विवेकपूर्ण निर्णय ही ‘सबका साथ,  सबका विकास और सबका विश्वास’ के अनुकूल होगा।
बदलते परिवेश में जहाँ युवा भारत, फिट इंडिया मूवमेंट, आत्मनिर्भर भारत अभियान और मेक इन इंडिया जैसे संकल्पों को साकार करने के लिए वर्ष २०३० तक सतत विकास का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, वहाँ युक्त भाव से समेकित प्रयास के द्वारा ही लक्ष्य की प्राप्ति संभव है।
श्री त्रिवेदी ने कहा इसके लिए राष्ट्रीय सामाजिक ढाँचा को बदलने की आवश्यकता है और उस बदलाव के लिए जाति व्यवस्था के स्थान पर वर्ण व्यवस्था का औचित्य राष्ट्रीय विमर्श का विषय होना चाहिए।राजनीतिक रूप से आप जितनी जातिवादी व्यवस्था की बात कर लें, सामाजिक रूप में आज भी लोग वर्ण व्यवस्था को आत्मसात करने के लिए उत्सुक हैं।
श्री त्रिवेदी ने कहा की 29 राज्यों वाले राष्ट्र में किसी राष्ट्रीय मुद्दा पर किसी  एक राज्य के कुछ नेताओं के तर्कों को राष्ट्रहित में सर्वमान्य नहीँ कहा जा सकता। इसलिए वसुधैव कुटुम्बकम परिषद इस विषय पर प्रधानमंत्री के समक्ष वर्ण व्यवस्था के पक्ष में अपना तर्क प्रस्तुत करना चाहती है, जिसमें स्पष्ट हो जाएगा कि वर्तमान देश, काल और परिस्थिति के बीच भारत में जाति आधारित  नहीं वर्ण आधारित जनगणना ही जनहित और राष्ट्रहित में कारगर होगा।

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