पटना : ज्ञान भवन में ‘फसल अवशेष प्रबंधन’ पर आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि फसल अवशेष के प्रबंधन हेतु मशीन की खरीद आदि के लिए जिस तरह दो साल के लिए पंजाब, हरियाण व दिल्ली को केन्द्र सरकार ने 1152 करोड़ की मदद की है उसी तर्ज पर बिहार को भी मदद करें।
सुझाव दिया कि केवल दंड के प्रावधान से फसल अवशेषों को जलाने से नहीं रोका जा सकता है,बल्कि पावर प्लांट, ईंट-भट्ठे, फैक्ट्री के बाॅयलर व कोयले के बदले ईंधन में इसके वैकल्पिक उपयोग व किसानों को बाजार उपलब्ध कराने तथा पंजाब की तरह रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट से फोटो लेने व मोबाइल एपलिकेशन के जरिए फसल जलाने की सूचना देने वालों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
श्री मोदी ने कहा कि 1 टन फसल अवशेष जलाने पर 2 किग्रा. सल्फर डाइऑक्साइड, 3 किग्रा.पार्टिकुलेट मैटर, 60 किग्रा. कार्बन डाइऑक्साइड, 199 किग्रा. राख उत्सर्जित होता है। इससे केवल पर्यावरण ही प्रदूषित नहीं होता बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है और आंखों में जलन, सांस लेने, नाक व गले की स्वास्थ्य समस्या भी उत्पन्न होती हैं। पिछले साल पंजाब, हरियाणा व यूपी में 4 करोड़ टन और बिहार में 32 लाख टन फसल अवशेष जलाये गए। सहज कल्पना की जा सकती है कि इससे कितना नुकसान हुआ होगा।
नवम्बर के बाद जाड़े के मौसम में पटना,मुजफ्फरपुर व गया आदि शहरों में वायु की गुणवत्ता प्रभावित होने के पीछे फसल अवशेष जलाना भी एक महत्वपूर्ण कारण है। इस दौरन गैसीय उत्सर्जन बढ़ने से वायुमंडल की निचली सतह पर कण के धनीभूत होने से कुहासा छाया रहता है।