मौजूदा विधानसभा चुनाव ने बिहार की राजनीति को उलट-पुलट कर दिया है। एनडीए और महागठबंधन की मजेदार बात देखिये कि दोनों गठबंधन के नेता ख्याली पुलाव पका रहे हैं । राज्य में नीतीश कुमार और केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए बिहार की जनता को जंगलराज याद दिला रहे हैं, दूसरी तरफ महागठबंधन गुंडों के बल पर सरकार बनाने की बात कर रहा है।
जनता दल सेक्युलर, भारतीय पार्टी लोकतांत्रिक, राष्ट्रीय सेक्युलर मजलिस पार्टी और आल इंडिया माइनारिटी फ्रंट के एलायंस को मजबूती दे रहे वरिष्ठ नेता ललित मोहन सिंह ने कहा कि ऐसी स्थिति में बिहार के मतदाता सोचने पर मजबूर है कि वे जाएं तो जाएं कहां? एक तरफ कुआं है तो दूसरी तरफ खाई, ऐसी स्थिति में जनता को बहुत सोच समझ कर मतदान करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि यह तो तय है 2020 के चुनाव में बिहार में मिली जुली सरकार बनेगी, किसी भी एक दल को यह सौभाग्य नहीं मिलेगा जो अकेले अपने दम पर सरकार बना सके ।उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी और हाल में गुजरे रामविलास पासवान के बेटे चिराग चुनाव बाद किस करवट पाला बदल करते हैं।
श्री सिंह ने कहा कि जहां तक सवाल है जनता दल सेकुलर बीपीएल,राष्ट्रीय सेक्युलर मजलिस पार्टी और माइनॉरिटी फ्रंट का तो हमारा एलाइंस कम से कम 10 विधायक के साथ विधानसभा में दस्तक देगा ।
एलायंस की राजनीति में सिर्फ बिहार है इसके अलावा कुछ नहीं। हमारे बजट का 70 प्रतिशत किसानों के हित में होगा 10 प्रतिशत नौजवानों के लिए होगा और बाकी का 20 ℅ औद्योगिक विकास के लिए होगा। श्री सिंह ने कहा कि सरकारी ऑफिस की मनमानी हम रोकेंगे, इस प्रक्रिया में कुछ सचिव स्तर के अधिकारी 3 महीने के अंदर जेल जाएंगे, यह भी तय है ।