उत्तर भारत में मनाया जाने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ की ‘नहाय-खाय’ के साथ रविवार से शुरूआत हो चुकी है। चार दिन तक चलने वाले पर्व को पटना समेत अन्य सभी छोटे-बड़े शहरों गांवों इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार में छठ के लोक गीतों का भी बड़ा महत्व है।
छठ पूजा शुरू होने से लेकर अंतिम दिन तक इसके गीत से घर-बाहर का माहौल पूर्ण रुप से भक्तिमय हो जाता है। सफाई और सजावट के साथ लोगों ने छठ पर्व की शुरुआत की है। छठ पर्व में सात्विक भोजन किया जाता है।
नहाय खाय के अगले दिन खरना होगा जिसे इस महापर्व का दूसरा और सबसे कठिन चरण माना जाता है। अथर्ववेद के अनुसार, भाष्कर की मानस बहन षष्ठी देवी बच्चों की रक्षा करती हैं। षष्ठी देवी प्रकृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं। षष्ठी देवी भगवान विष्णु द्वारा रची गई माया हैं जो बच्चों की रक्षक हैं।
खरना में वृत रखने वाले शाम को पूजा के बाद खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं जिसके बाद निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। नहाय खाय में लौकी की सब्जी को अनिवार्य माना जाता है। इसे बनाने में खास ध्यान रखा जाता है। इस दौरान दाल, सब्जी आदि में लहसुन प्याज आदि वर्जित हैं।
लौकी और चने की सब्जी शुद्ध देशी घी में बनाई जाती है जिसे परिवार के अन्य लोग प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं। नहाय खाय के दिन प्रसाद बनाने के लिए गेहूं को धोया और सुखाया जाता है। इसके बाद इससे आटा तैयार किया जाता है। इसके बाद इससे आटा तैयाय कर खरना के लिए रोटी और छठ पर्व के लिए ठेकुआ बनाया जाता है। इसे बनाते समय पवित्रता और शुद्धता का खास ख्याल रखा जाता है।
खरना के बाद व्रती बिना अन्न-जल के 24 घंटे से ज्यादा समय तक भगवान भास्कर और माता षष्ठी की आराधना करते हैं। इस बार सुबह 6 बजकर 27 मिनट नहाय खाय के दिन सूर्योदय का समय है। नहाय खाय के दिन गंगा स्नान शुभ माना जाता है।
इस दिन पूरे घर की सफाई कर किसी नदी या तालाब के पानी में नहाकर साफ वस्त्र पहने जाते हैं। भोजन सात्विक ही बनाया जाता है। छठ पर्व का व्रत रखने वाले पुरुष या महिला घी में चने की दाल और लौकी की सब्जी बनाते हैं। खाने में कद्दू और अरवा चावल बनाना अनिवार्य है।
छठ पूजा सामग्री
– नए वस्त्र साड़ी-कुर्ता पजामा।
– प्रसाद रखने के लिए बांस की दो तीन बड़ी टोकरी।
– चावल, लाल सिंदूर, धूप और बड़ा दीपक।
– बांस या पीतल के बने 3 सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास।
– पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो।
– सुथनी और शकरकंदी।
– हल्दी और अदरक का पौधा हरा हो तो अच्छा।
– नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू, जिसे टाब भी कहते हैं।
– शहद की डिब्बी, पान और साबुत सुपारी।
– कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई।
इसके साथ ही ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पूड़ी, खजूर, सूजी का हलवा, चावल का बना लड्डू आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाएगा।