Chhath Puja 2024: बिहार के गया में लोगों के बीच छठ पर्व की धूम, 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ

लोकआस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन बुधवार को 'खरना' के साथ ही पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। बिहार के गया जिले के सुदूरवर्ती प्रखंड डुमरिया के मैगरा में लोक आस्था के महापर्व छठ की धूम है।
Chhath Puja 2024: बिहार के गया में लोगों के बीच छठ पर्व की धूम, 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ
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Chhath Puja 2024: लोकआस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन बुधवार को 'खरना' के साथ ही पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। बिहार के गया जिले के सुदूरवर्ती प्रखंड डुमरिया के मैगरा में लोक आस्था के महापर्व छठ की धूम है। लोगों में उत्साह और बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे तक का निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया। खरना को 'लोहड़ा' भी कहा जाता है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

सभी छठ से संबंधित सामग्रियां खरीद रहे हैं। छठ को लेकर प्रशासन की तरफ से भी पूरी तैयारी की गई है। सुरक्षा-व्यवस्था का भी विशेष ध्यान रखा गया है। मंगलवार को नहाए-खाए के साथ ही चार दिवसीय छठ पूजा का आगाज पूरे देश में हो गया है। बुधवार को खरना था। इस दिन सभी छठ व्रतियों ने नदी-तालाब-पोखर में स्नान कर भगवान भास्कर को याद करते हुए छठ घाट बांधे और खरना के प्रसाद बनाने के लिए पानी लिया। इसी पानी में उन्होंने खरना का प्रसाद बनाया। शाम को घर पर व्रतियों ने पूरी शुद्धता के साथ प्रसाद बनाया और भगवान को अर्पित किया। इसके बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण किया और परिजनों-पड़ोसियों में बांटा।

36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ

इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया है। छठ व्रती उर्मिला कुमारी ने कहा, आज छठ पूजा का दूसरा दिन है, जिसे खरना कहते हैं। यह दिन विशेष रूप से उपासकों के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन से वे 36 घंटे के कठिन उपवास की शुरुआत करते हैं। इस दिन की शुरुआत नदी या जलाशय में स्नान करके होती है। लोग नदी में जाकर शुद्ध होकर वहां से जल लेकर आते हैं, जिसे बाद में प्रसाद तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह जल पूजा के दौरान एक महत्वपूर्ण तत्व होता है और इसे घर में लेकर आकर सूर्य देव की उपासना के लिए उपयोग किया जाता है।

गंगा नदी के तट पर जुटे श्रद्धालु

छठ पर्व के दूसरे दिन व्रती पटना स्थित गंगा नदी के तटों पर जुटे और स्नान कर मिट्टी के बने चूल्हे में आम की लकड़ी जलाकर गुड़ में बनी खीर और रोटी बनाकर भगवान भास्कर की पूजा की और खरना किया। सभी व्रतियों ने सुख-समृद्धि की कामना की। खरना के बाद आसपास के लोग भी व्रती के घर पहुंचे और खरना का प्रसाद ग्रहण किया। कई श्रद्धालु गंगा के तट पर या जलाशयों के किनारे भी विधि-विधान से खरना करते दिखे। महापर्व छठ के खरना के साथ ही पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है।

बाजारों में रौनक

कई श्रद्धालु गंगा के तट पर या जलाशयों के किनारे भी विधि-विधान से खरना करते दिखे। महापर्व छठ के खरना के साथ ही पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है। सभी ओर छठी मईया के गीत गूंज रहे हैं। छठ पर घाटों से लेकर सड़कों, मोहल्लों को सजाया गया है। रोशनी की पुख्ता व्यवस्था की गई है। गुरुवार को छठव्रती गंगा तटों और जलाशयों में पहुंचकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी।

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