लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के छह लोकसभा सदस्यों में से पांच ने चिराग पासवान को संसद के निचले सदन में पार्टी के नेता के पद से हटाने और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को इस पद पर नियुक्त करने के लिए हाथ मिला लिया है। चिराग पासवान की जगह उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को इस पद के लिए चुन लिया है। वहीं विवाद के बीच चिराग पासवान अपने चाचा के घर पहुंचे। नई दिल्ली स्थित चाचा के आवास के बाहर चिराग को अपनी कार में करीब 20 मिनट तक इंताजर करना पड़ा जिसके बाद चिराग को घर में एंट्री मिल सकी।
सूत्रों के मुताबिक चिराग राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ने को तैयार हो गए हैं। वहीं उन्होंने नया दांव चलते हुए अपनी मां रीना पासवान को लोजपा की कमान सौंपने की मांग की है। वहीं घर पर चाचा पशुपति कुमार पारस से चिराग की मुलाकात नहीं हो सकी है। वहीं, पारस ने सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना करते हुए उन्हें एक अच्छा नेता तथा ‘‘विकास पुरुष’’ बताया और इसके साथ ही पार्टी में एक बड़ी दरार उजागर हो गई क्योंकि पारस के भतीजे चिराग पासवान जद (यू) अध्यक्ष के धुर आलोचक रहे हैं।
हाजीपुर से सांसद पारस ने कहा, ‘‘ मैंने पार्टी को तोड़ा नहीं, बल्कि बचाया है।’’ उन्होंने कहा कि लोजपा के 99 प्रतिशत कार्यकर्ता पासवान के नेतृत्व में बिहार 2020 विधानसभा चुनाव में जद (यू) के खिलाफ पार्टी के लड़ने और विफल रहने से काफी नाखुश हैं। पारस ने कहा कि उनका गुट भाजपा नीत राजग सरकार को हिस्सा बना रहेगा और पासवान भी संगठन का हिस्सा बने रह सकते हैं। चिराग पासवान के खिलाफ हाथ मिलाने वाले पांच सांसदों के समूह ने लोकसभा अध्यक्ष को अपना यह निर्णय बता दिया है। हालांकि पारस ने इस संदर्भ में कोई टिप्पणी नहीं की।
पारस के पत्रकारों से बात करने के बाद चिराग पासवान राष्ट्रीय राजधानी स्थित उनके चाचा के आवास पर उनसे मिलने पहुंचे। कार में कुछ देर इंतजार करने के बाद उन्हें अंदर जाने दिया गया। हालांकि पारस वहां मौजूद नहीं थे। पासवान के रिश्ते के भाई एवं सांसद प्रिंस राज भी इसी आवास में रहते हैं।
सूत्रों ने बताया कि असंतुष्ट लोजपा सांसदों में प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीना देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं, जो चिराग के काम करने के तरीके से नाखुश हैं। 2020 में पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा का कार्यभार संभालने वाले चिराग अब पार्टी में अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे हैं।
उनके करीबी सूत्रों ने जनता दल (यूनाइटेड) को इस बंटवारे के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पार्टी लंबे समय से लोजपा अध्यक्ष को अलग-थलग करने की कोशिश कर रही थी क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ जाने के चिराग के फैसले से सत्ताधारी पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा था।