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नागरिकता संशोधन अधिनियम किसी की नागरिकता नहीं छीनता है : रविशंकर

रविशंकर ने कहा कि इस कानून का लक्ष्य — ऐसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, इसाई और पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता प्रदान करना है जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बंगलादेश में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत में आ गए हैं ।

पटना : देश में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ जारी हिंसक प्रदर्शन में अर्बन नक्सल और टुकड़े टुकड़े गैंग का हाथ होने का दावा करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रविवार को इस नये कानून और एनआरसी के बारे में फैलाये जा रहे भ्रम को बेबुनियाद करार दिया और कहा कि यह कानून किसी भी भारतीय नागरिक पर लागू नहीं होता और इससे किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। 
पटना स्थित भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में रविवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए रविशंकर ने कहा, ‘‘संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में जारी हिंसा प्रायोजित है और इसमें अर्बन नक्सलियों के अलावा बडी संख्या में टुकडे़ टुकडे़ गैंग के लोग खडे़ हैं ।’’ उन्होंने दावा किया कि यह झूठ, फरेब और वोट बैंक के लिए काम करने की कोशिश की गयी है, और बिल्कुल ही झूठ फैलाया जा रहा है । इसको लेकर हम लोगों के पास गांव गांव में जाएंगे । 
कानून मंत्री ने कहा, ‘‘नागरिकता संशोधन कानून भारत के किसी भी नागरिक पर लागू नहीं होता । मुस्लिम समुदाय के लोगों पर भी नहीं । हम पूरी इमानदारी के साथ मानते हैं कि यह देश जितना हिंदुओं का है उतना ही मुसलमानों का भी है । इस देश को बनाने में मुसलमानों ने भी सहयोग किया है और सरकार की योजनाएं सभी के लिए है ।’’ जहां तक एनआरसी का सवाल है तो यह स्पष्ट कहा गया है कि अभी इसकी कोई रूपरेखा नहीं बनी है और इसकी रूपरेखा बनने पर उसपर चर्चा भी होगी । 
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अंतर्गत केवल असम में एनआरसी का प्रकरण चला है । उन्होंने कहा कि जो हुआ ही नहीं उसको लेकर बवाल किया जा रहा है और इसपर अभी चर्चा बेबुनियाद है क्योंकि इसका अभी कोई ढांचा बना ही नहीं है । 
मुंबई के आजाद मैदान की रैली का जिक्र करते हुए रविशंकर ने कहा, ‘‘उसमें नारा लगा था आजादी आजादी। क्या मतलब है इसका । किससे आजादी । हमारी सरकार की सोच बहुत ही साफ है । हम लोकतंत्र का पूरा सम्मान करते हैं । हरेक को अपनी बात कहने, विरोध दर्ज कराने और सवाल पूछने का अधिकार है पर देश को अगर हिंसा से तोडने की कोशिश की जाएगी तो सख्त कार्रवाई होगी।’’ उन्होंने कहा कि ‘भारत के टुकडे़’ होंगे यह गैंग इसमें काफी सक्रिय है और उनके खिलाफ हम बहुत सख्त कार्रवाई करेंगे। 
उन्होंने कहा ”राजद के बंद के दौरान हुई हिंसा की मैं भर्त्सना करता हूं। विशेषकर पटना के पत्रकारों के साथ जो बदसलूकी हुई और उन्हें पीटा और घायल गया तथा उनके कैमरे तोडे़ गए, यह शर्मनाक है, उसकी मैं जबरदस्त भर्त्सना करता हूं। ये उनके चरित्र को परिलक्षित करता है जो संविधान की दुहाई हमें देते हैं उनका पूरा चरित्र असंवैधानिक है और फासिस्ट हैं”। 
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के जदयू महासचिव केसी त्यागी के बयान के बारे में पूछे जाने पर रविशंकर ने कहा ”हम राजग के सभी घटक दलों के शीर्ष नेतृत्व के साथ संपर्क में हैं। पार्टी के प्रवक्ता के बयान पर टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं ।’’ राजग में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान के संशोधित नागरिकता कानून को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र के बारे में पूछे जाने पर रविशंकर ने कहा कि लोजपा राजग का हिस्सा है और उनसे भी बात होती रहती है और आगे भी होगी। 
कई प्रदेशों के एनआरसी को लागू नहीं किए जाने की चर्चा के बारे में पूछे जाने पर रविशंकर ने कहा कि भारत का एक संविधान है और सारे मुख्यमंत्री और मंत्री भारत के संविधान के अंतर्गत ही शपथ लेते हैं जिसमें संसद को एक अधिकार और विधानसभा को काम करने के अधिकार का जिक्र है । उन्होंने कहा कि अगर एक प्रदेश कह दे कि दूसरे प्रदेश के कानून को लागू नहीं करुंगा तो कैसे काम चलेगा और ऐसे में देश कैसे चलेगा क्योंकि जब आपने संविधान की शपथ ली है तो उसकी मर्यादाओं का भी सम्मान करना चाहिए। 
रविशंकर ने कहा कि इस कानून का लक्ष्य — ऐसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, इसाई और पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता प्रदान करना है जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बंगलादेश में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत में आ गए हैं । उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘यह न किसी की नागरिकता छीनता है और न ही लेता है । वे भारतीय जो अपनी आस्था के कारण सत्तर साल से पीड़ा और अमानवीय जिंदगी जीते रहे हैं, उनके चेहरे पर थोडी सी मुस्कुराहट लाने की एक कोशिश है । 
कानून मंत्री ने 1947 में पंडित नेहरू और लियाकत अली खां के बीच हुए समझौते का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘महात्मा गांधी की टिप्पणी है कि पाकिस्तान में हिंदू और सिख अगर प्रताडि़त होते हैं, तो वे हिंदुस्तान आ सकते हैं ।’’ उन्होंने कहा कि कहा कि युगांडा में इदी अमीन के बड़ी तादाद में हिंदुओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया था, जिन्हें इंदिरा गांधी ने भारत की नागरिकता दी। 
रविशंकर ने 1971 में पाकिस्तान का बंगलादेश के साथ युद्ध के दौरान भी बहुत सारे लोगों को इंदिरा गांधी ने नागरिकता दी और राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्वकाल में बहुत सारे श्रीलंकायी तमिलों को भारत की नागरिकता दी गयी थी । उन्होंने कहा कि 2003 में मनमोहन सिंह ने नागरिकता संशोधन बिल पर बोलते हुए कहा था कि बंगलादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलनी चाहिए । रविशंकर ने मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल में नागरिकता कानून तीन दिसंबर 2004 से लागू हुआ। 

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