जनता दल (यूनाइटेड) ने मंगलवार को केंद्र से जातीय जनगणना कराये जाने की मांग करते हुए कहा कि जब तक ऐसा नहीं होता तब तक देश में अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के साथ न्याय नहीं हो पाएगा। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हमने बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए जनसंख्या नियंत्रण को ध्यान में रखा था।
उन्होंने कहा कि हमने जनसंख्या को लेकर आकलन किया और नतीजा आया कि अगर पति-पत्नी में पत्नी पढ़ी होगी तो प्रजन्न दर घटेगी और इसी नतीजे पर चलते हुए आज राज्य की प्रजन्न दर 3% है जो कभी 4% से ज़्यादा थी। इस बीच लोकसभा में ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर चर्चा में भाग लेते हुए जदयू नेता राजीव रंजन सिंह ने कहा कि देश में अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के कल्याण की दिशा में सरकार की नीयत साफ है, इसलिए सुधार की लगातार संभावनाएं बनी रहती हैं। उन्होंने कहा कि इसी क्रम में यह विधेयक लाया गया है जो स्वागत योग्य है।
उन्होंने कहा कि लेकिन ‘‘जब तक जातीय जनगणना नहीं होगी तब तक हम देश में ओबीसी को न्याय नहीं दिला पाएंगे। 1931 में जातीय जनगणना हुई थी और अब सरकार को 2022 में जातीय जनगणना करानी चाहिए।’’ जदयू सांसद ने कहा कि यह भ्रम है कि जातीय जनगणना के बाद आंकड़े आने से समाज के विभिन्न वर्गों के साथ भेदभाव होगा। उन्होंने कहा कि यह गलत धारणा है।