बिहार में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के 2 प्रमुख घटक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है? ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा से दुरी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल सीएम नीतीश कुमार शनिवार को दिल्ली में मुख्यमंत्रियों और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के एक संयुक्त सम्मेलन में शामिल नहीं हुए, जिससे सहयोगी भाजपा के साथ उनके संबंधों में तनाव की चर्चा को और अधिक जोर मिल गया।
सीएम नीतीश हैं भाजपा से खफा?
केंद्रीय कानून मंत्रालय द्वारा बुलाए गए सम्मेलन को पीएम नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसमें भाग लिया। वहीं दिल्ली जाने के बजाय सीएम नीतीश ने एक इथेनॉल उत्पादन संयंत्र का उद्घाटन करने के लिए पूर्णिया का दौरा किया और राज्य के कानून मंत्री प्रमोद कुमार को सम्मेलन में भेजा, जो भाजपा से हैं। एनडीए के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि नीतीश सहयोगी बीजेपी से तब से नाराज हैं, जब से उनके नेताओं ने उनकी जगह “बीजेपी के सीएम” की खुली मांग की थी।
तारकिशोर प्रसाद को CM बनाने की उठ रही मांग
इस मांग को हाल ही में सासाराम के सांसद छेदी पासवान और लौरिया विधायक विनय बिहारी जैसे वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने उठाई थी। दरअसल, विनय ने खुले तौर पर मांगकरते हुए कहा था कि नीतीश की जगह उनके डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद जो की भाजपा से आते हैं उन्हें लाया जाना चाहिए। एनडीए के सूत्रों ने कहा कि सीएम नीतीश इस तथ्य से अधिक परेशान हैं कि भाजपा के किसी भी राष्ट्रीय नेता ने ऐसे बयानों का खंडन नहीं किया, जिसमें उन्हें सीएम पद से हटाने की मांग की गई थी।