बिहार विधानसभा में मंगलवार को बजट सत्र का दूसरा दिन काफी हंगामेदार रहा। विपक्ष ने इस दौरान नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर जमकर जमकर बवाल कटा। नौबत पक्ष और विपक्ष के बीच हाथापाई तक आ गई।
इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि एनपीआर 2010 के प्रारूपों के अनुसार ही होना चाहिए, इसके लिए सरकार ने केंद्र सरकार को एक पत्र भी लिखा है। नीतीश कुमार ने विधानसभा में कहा कि ग्रामीण इलाकों के लोगों को जन्मदिन का पता नहीं है। इन सबको देखते हुए केंद्र सरकार को पत्र भेजा गया है। बिहार सरकार द्वारा 15 फरवरी 2020 को भेजे गए पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि एनपीआर पुराने फॉर्मेट में कराने की बात कही गई है।
मुख्यमंत्री ने विपक्षी दलों को संशय में नहीं रहने की अपील करते हुए कहा कि पत्र में लिंग के कॉलम में ट्रांसजेंडर को जोड़ने का भी अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि एनआरसी को लेकर कोई बात ही नहीं हुई है। इसके बारे में विस्तार से चर्चा किए बिना सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का जिक्र किया जा सकता है, जिसमें प्रधानमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि एनआरसी पर अभी तक कोई विचार नहीं किया गया है।
नीतीश ने सदन में कहा कि बिहार में एनआरसी, एनपीआर को लेकर माहौल बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा, "सीएए के सभी दस्तावेज देखे हैं। सीएए तीन देशों के अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा के लिए है और यह केंद्र का कानून है। ये सही है या गलत, इसे अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा।" नीतीश कुमार ने कहा कि किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति नहीं होनी चाहिए। जहां तक सीएए का सवाल है सीएए तो कांग्रेस लेकर आई थी।
इससे पहले विधानसभा में सत्ता और विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। सदन की कार्यवाही मंगलवार को प्रारंभ होते ही सदन में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एनपीआर को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बरगलाने का आरोप लगाया। तेजस्वी ने सदन में एनआरसी और एनपीआर को देश तोड़ने वाला काला कानून बताया। उनके बयान पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी हंगामा किया। सत्ता पक्ष के विधायकों ने कहा कि विपक्ष देश के संविधान को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।