कोरोना की पहली लहर हो या दूसरी लहर, बिहार के भवनपुरा पंचायत में अब तक कोरोना की 'नो इंट्री' - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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कोरोना की पहली लहर हो या दूसरी लहर, बिहार के भवनपुरा पंचायत में अब तक कोरोना की ‘नो इंट्री’

बिहार में एक ओर जहां कोरोना संक्रमण की रफ्तार नहीं थम रही है वहीं भागलपुर जिले के खरीक प्रखंड में एक ऐसा ग्राम पंचायत भी है, जहां कोरोना की पहली लहर हो या दूसरी लहर, अब तक कोरोना का प्रवेश नहीं हुआ है।

बिहार में एक ओर जहां कोरोना संक्रमण की रफ्तार नहीं थम रही है वहीं भागलपुर जिले के खरीक प्रखंड में एक ऐसा ग्राम पंचायत भी है, जहां कोरोना की पहली लहर हो या दूसरी लहर, अब तक कोरोना का प्रवेश नहीं हुआ है। पंचायत के मुखिया का दावा है कि यह संभव हो सका है गांव के लोगों की जागरूकता और सजगता के कारण गांव के लोग बाहरी लोगों के आने पर रोक लगा चुके हैं।
खरीक प्रखंड की भवनपुरा पंचायत में इस दूसरी लहर में भी अब तक कोरोना का प्रवेश इस पंचायत में नहीं हुआ है। गांव के लोगों की जागरूकता और सजगता के कारण यहां गाइडलाइन के सख्ती से अनुपालन किया जाता है। भवनपुरा पंचायात के मुखिया विनीत कुमार सिंह बताते हैं कि इस पंचायत में तीन गांव रतनपुर, भवनपुरा और मिरचा गांव है, जिसकी आबादी करीब 12 हजार के करीब है। उन्होंने कहा कि इस गांव की भौगोलिक बनावट ऐसी है कि कोई भी व्यक्ति इस पंचायत में कोसी पुल पार कर ही आ सकता है, ऐसे में उस पुल पर ही गांव के लोगों की पहरेदारी की जा रही है।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इस गाव में भी करीब पचास से ज्यादा कामगार दिल्ली और पंजाब से लौटे। जब इनकी कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आई, तभी इन्हें गांव में आने दिया गया। कोरोना संक्रमण को रोकने की तैयारी गांव के एंट्री प्वाइंट से शुरू होती है। उन्होंने बताया कि गांव में आने वाले लोगों की थर्मल स्कैनर से जांच की जाती है। यदि सब ठीक रहा, तभी गांव में प्रवेश मिलेगा। अन्य प्रदेशों से आने वाले लोगों के लिए और कडा नियम बनाया गया है।
उन्हें गांव में आने के पहले तीनों गांवों में बने सरकारी स्कूल में सात से नौ दिन गुजारने पडते हैं और जब उनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं दिखता तब ही उन्हें उनके परिवार के पास भेजा जाता है या गांव में प्रवेश मिलता है। सरकारी स्कूल में उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी ग्रामीणों द्वारा की जाती है। स्कूल की रसोई में सभी का खाना बनता है। इसके बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से स्वास्थ्य कर्मचारी को बुलाकर सभी की जाच कराई जाती है। जब तक उनकी रिपोर्ट नहीं आती है, तब तक वे सभी उसी स्कूल में रहते हैं।
मुखिया का दावा है कि गांव में अन्य प्रदेशों में रहने वाले 50 से ज्यादा लोग अब तक लौट चुके हैं। गांव के युवाओं की टोली भी गांव-गांव में घूम-घूमकर लोगों को मास्क पहनने तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए लोगों को ना केवल जागरूक करते हैं बल्कि इस गाइडलाइन का सख्ती से पालन भी करवाते हैं।
मुखिया अपने खर्च से गांव में सैनिटाइजर की की व्यवस्था कर रखे हैं, जिससे गावों को सैनिटाइज किया जाता है। मुखिया विनीत सिंह कहते हैं, ‘अब तक तो वे अपने पंचायत को कोरोना से बचा चुके हैं अब आगे भगवान मालिक।’ उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष तो लोगों के घरों में खाद्यान्न सामग्री भी भेजी गई थी, जिससे लोगों को खाने में परेशानी नहीं हो। कोरोना को गाइडलाइन का पालन कर रोका जा सकता है। गांव के लोग भी कोरोना के गांव में प्रवेश नहीं करने को लेकर तत्पर हैं।

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