बिहार में वैक्सीनेशन को लेकर एक और लापरवाही का मामला सामने आया है। राज्य के नालंदा जिले में दो किशोरों को कोवैक्सीन की जगह कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज दे दी गयी। लेकिन चिंताजनक यह है कि देश में अभी तक बच्चों पर कोविशील्ड वैक्सीन का ट्रायल नहीं हुआ है। ऐसे में इस लापरवाही ने स्वास्थ विभाग में खलबली मचा दी।
दरअसल, देश में 15 से 18 साल के बच्चों का टीकाकरण शुरू हो चुका है। इसी के तहत नालंदा जिले की बिहारशरीफ प्रोफेसर कॉलोनी के रहने वाले दो भाइयों ने वैक्सीनेशन के लिए रविवार को स्लॉट बुक कराया था। इसमें आईएमए हॉल में कोवैक्सीन टीका लेने की सूचना दी गयी।
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इसके बाद दोनों किशोर सोमवार को वहां पहुंचे। उनकी उम्र 17 साल के आसपास है। कागजी प्रक्रिया पूरी कर टीका लगवाया। इस दौरान उसे और उसके भाई को कोवैक्सीन की जगह कोविशील्ड वैक्सीन लगने का पता चला। किशोर के पिता प्रियरंजन कुमार ने बताया कि यह स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही है।
उन्होंने बताया कि इस मामले में जब दोनों बच्चे सीएस कार्यालय शिकायत करने गए तो उन्हें डेढ़ घंटे ऑब्जर्वेशन में रखा गया। इसके बाद बोला गया कि अगर कोई परेशानी होगी तो उनके घर मेडिकल टीम भेज दी जाएगी। पिता ने कहा कि जब हम लोगों ने इसकी शिकायत की तो अधिकारियों ने आनन-फानन में टीका देने वाले दोनों कर्मियों को वहां से हटा दिया। इस पर क्या कार्रवाई हुई, हमें नहीं पता।
हैरानी वाली बात तो यह है कि किशोर को कोविशील्ड की डोज दी गयी। जबकि, उसके मोबाइल पर कोवैक्सीन डोज लेने की सूचना दी गयी थी। यानि सर्टिफिकेट के अनुसार किशोर को 28 दिन के बाद दूसरी डोज लेनी होगी। जबकि, हकीकत में किशोर को 84 दिन बाद दूसरी डोज लगेगी।