राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने गुरुवार को मांग की कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) के प्राध्यापकों के लिए केंद्र सरकार विधेयक लाए। कुशवाहा ने प्राध्यापकों की नियुक्ति और पदोन्नति के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधान विकास मंत्री प्रकाश जावेड़कर को पत्र लिखकर इसको लेकर उन्हें अपनी चिंता से अवगत कराया है और तत्काल ऐसे कदम उठाने को कहा है जिससे केंद्रीय विश्वविद्यालयों या ऐसे दूसरे संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी की नियुक्तियों पर आया कथित संकट समाप्त हो।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि संसद के शुरू होने वाले सत्र के पहले ही दिन इसको लेकर विधेयक लाएं। कुशवाहा ने कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण का विधेयक अगर 48 घंटे में पारित हो सकता है तो यह क्यों नहीं। उन्होंने याद दिलाया कि संसद के पिछले सत्र के दौरान जब इस मुद्दे पर आवाज उठाई गई थी तब मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा था, ‘‘हम तत्काल नियुक्तियों पर रोक लगा रहे हैं और कोर्ट के फैसले का इंतजार करते हैं।
कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में नहीं आएगा तो हम कानून में बदलाव भी करेंगे।’’ रालोसपा प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार विधेयक नहीं लाती है तो फिर हम सदन की कार्यवाही को चलने नहीं देंगे।