पटना : पिछले कई वर्षों से जलवायु परिवर्तन के फलस्वरुप वर्षापात में कमी एवं भू-जल स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। राज्य के सभी इलाकों में भू-जल स्तर में गिरावट आने की वजह से पेयजल की समस्या के साथ-साथ फसलों के उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
राज्य सरकार की पहल पर 13 जुलाई 2019 को विधानमंडल के सभी सदस्यों की संयुक्त बैठक हुई जिसमें इस आपदाजनक स्थिति से निपटने के लिए गहन विचार विमर्श किया गया। सभी सदस्यों के सुझावों एवं परामर्श के आधार पर राज्य सरकार ने जल-जीवन-हरियाली अभियान शुरु करने का निर्णय लिया। जल-जीवन-हरियाली अभियान का मतलब है, जल है और हरियाली है तभी जीवन है चाहे वह जीवन मनुष्य का हो या पशु-पक्षी का यानि जल और हरियाली के बीच जीवन है। अभियान को सफल बनाने के लिए संबद्ध विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने एवं बेहतर संचालन हेतु ग्रामीण विकास विभाग को नोडल विभाग नामित किया गया है।
जल-जीवन-हरियाली अभियान की प्रमुखता में राज्य की बढ़ती जनसंख्या, मानवीय गतिविधि एवं जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न पारिस्थितिकीय चुनौतियों से निपटना तथा राज्य में पारिस्थितिकीय संतुलन का संधारण करने का व्यापक एवं बहुआयामी उद्देश्य शामिल है। इस अभियान के माध्यम से जल संचयन के तरीकों और बचाव के संबंध में लोगों को जागरूक किया जायेगा। जन चेतना के माध्यम से लोगों को यह भी बताया जायेगा कि कम वर्षा होने पर भू-जल ही एकमात्र सहारा है और उन्हें वर्षा जल इकट्ठा करना होगा साथ ही पेयजल के दुरुपयोग से भी बचना होगा।
जल को प्रदूषण मुक्त रखना, इसका स्तर संतुलित रखना तथा पर्याप्त जल उपलब्धता सुनिश्चित करना जल संरक्षण के लिए अति आवश्यक है। हरित आच्छादित को बढ़ावा देना, नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग एवं ऊर्जा की बचत पर बल देना भी इस अभियान का एक प्रमुख अंग है। बदलते पारिस्थितिक परिवेश के अनुरुप कृषि एवं उससे संबद्ध गतिविधियों को नए आयाम देने के लिए विभिन्न विभागों और विशेषज्ञों के समन्वय से जल-जीवन-हरियाली अभियान को क्रियान्वित किया जाना है।
जल-जीवन-हरियाली अभियान के संचालन के लिए परामर्श हेतु राज्य स्तर पर संसदीय कार्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य परामर्शदातृ समिति का गठन किया जाएगा जिसमें बिहार विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा मनोनीत बिहार विधानसभा के 15 सदस्य तथा बिहार विधान परिषद के सभापति द्वारा मनोनीत बिहार विधान परिषद के 05 सदस्य एवं विकास आयुक्त के साथ-साथ संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/ सचिव इसके सदस्य होंगे। अपर मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/ सचिव ग्रामीण विकास विभाग उसके सदस्य सचिव होंगे। जिलास्तर पर प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में जिला परामर्शदातृ समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें जिला पदाधिकारी इसके संयोजक तथा जिला कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के सभी सदस्य एवं जिला स्तर के सभी संबंधित विभागों के पदाधिकारी सदस्य होंगे।
जल-जीवन-हरियाली अभियान को मिशन मोड में लागू करने, निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने तथा नियमित अनुश्रवण के लिए जल-जीवन-हरियाली मिशन का गठन किया जाएगा। यह सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट-1860 के तहत निबंधित संस्था होगी। जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु वित्तीय वर्ष 2019-20 में 5870 करोड़ रुपए, वर्ष 2020-21 में 9874 करोड़ रुपए, वर्ष 2021-22 में 8780 करोड़ रुपए यानि कुल 24524 करोड़ रुपए का व्यय अनुमानित है। जल-जीवन-हरियाली मिशन के प्रशासनिक मद में वर्ष 2019-20 से वर्ष 2021-22 तक कुल 23.39 करोड़ रुपए की व्यय अनुमानित है। प्रत्येक संबंधित प्रशासी विभाग इस अभियान के क्रियान्वयन हेतु विशिष्ट बजट शीर्ष सृजित करेगा। शीर्ष के सृजित होने तक वर्तमान उपबंध से आवश्यकतानुसार व्यय किया जा सकता है। यह केंद्र प्रायोजित योजना पर लागू नहीं होगा।