पटना : साहित्य समाज के आगे-आगे मशाल लेकर चलता है और सही रास्ते पर इंसान को चलने की प्रेरणा देता है। कविताएं मनुष्यता की पहचान और प्रतिष्ठा बढ़ाती हैं। गजल भी एक सशक्त काव्य-शैली है, जिसमें सिर्फ इश्क और माशूकी की बातें ही नहीं होतीं बल्कि जीवन की तल्ख सच्चाइयां भी होती हैं और इंकलाबी सपने और संकल्प भी होते हैं।’’ उक्त बातें राज्यपाल लाल जी टंडन ने राजभवन के सभागार में दिनेश कुमार शर्मा (पूर्व जिला जज) रचित गजल-संग्रह ‘‘न रोको परिन्दों को’’ को लोकार्पित करते हुए व्यक्त किये।
राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि जिन्दगी से लेकर खुदाई तक, दर्द से लेकर हौसलों तक, हकीकतों से लेकर नसीहतों तक -हर तरह की बातों को पूरी गहराई और शिद्दत के साथ रखनेवाली काव्यविधा गजल कवियों, गायकों और आमजन में भी काफी लोकप्रिय है। राज्यपाल ने कहा कि गजल एक ऐसी काव्य-शैली है, जिसमें व्यवस्था और विसंगतियों के प्रति विद्रोह के भाव भी समाहित मिलते हैं। उन्होंने कहा कि कविताएं मनुष्यता की आवाज होती हैं। उनसे मनुष्य को शांति, सदभावना, प्रेम और भाईचारा के साथ जीवन-बसर करने की प्रेरणा मिलती है। राज्यपाल ने कहा कि एक न्यायिक सेवा के अधिकारी में इतनी उत्कृष्ट संवेदनशीलता एवं सुन्दर अभिव्यक्ति-क्षमता वस्तुत: प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि ‘न रोको परिन्दों को’ नामक पुस्तक का शीर्षक भी काफी सार्थक और प्रेरणादायी है।
लोकार्पण समारोह में बोलते हुए डा. शंकर प्रसाद ने कहा कि ‘रोको न परिन्दों को संग्रह की गजलें काफी उम्दा और अदब की दुनियां में विशेष पहचान बनानेवाली हैं। साहित्यकार डा. श्रीमती भूपेन्द्र कलसी ने कहा कि इस संग्रह की गजलों में जिन्दगी की हकीकतों का बयान है। शायर नाशाद औरंगाबादी ने संग्रह की गजलों में जिन्दगी और जमाने की धडक़नों के जज्ब होने की बात कही। कार्यक्रम में पुस्तक के रचयिता कवि दिनेश कुमार शर्मा ने अपनी रचना-प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए संग्रह की एक गजल पढक़र भी सुनायी।
कार्यक्रम का संचालन राज्यपाल के जनसम्पर्क पदाधिकारी डा. सुनील कुमार पाठक ने किया, जबकि धन्यवाद-ज्ञापन श्रीकांत सत्यदर्शी ने किया। लोकार्पण-समारोह में बिहार राज्य के मुख्य लोकायुक्त एस. के. शर्मा, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सीएम प्रसाद, राज्यपाल के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह, अपर सचिव विजय कुमार, विशेष कार्य पदाधिकारी (न्यायिक) फूलचंद चौधरी, ओएसडी संजय कुमार, ओएसडी अहमद महमूद, राज्यपाल के आप्त सचिव संजय चौधरी, विधि पदाधिकारी राघवेन्द्र विक्रम सिंह परमार, श्यामजी सहाय, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष अनिल सुलभ, उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त, डा. शिववंश पाण्डेय, डा. लक्ष्मी सिंह, राजेश शुक्ला आदि भी उपस्थित थे।