पटना : सिर्फ योजनाओं की कहानी मत सुनाईए, जमीनी हकीकत बताइए। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एपी शाही तथा न्यायमूर्ति अंजना मिश्रा की खंडपीठ ने प टना की जन समस्याओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। आपसी समन्वय की कर्मी पर अधिकारियों को फटकार ल गायी। अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी। खंडपीठ ने शनिवार को अवकाश के दिन लगातार साढ़े तीन घंटे तक आधे दर्जन मुद्दों से संबंधित मामलों पर एक साथ सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट रूम वकीलों और अधिकारियों से खचाखच भरा रहा।
सुबह 10 बजकर 39 मिनट से शुरू हुई सुनवाई दोपहर बाद दो बजे तक चली। कोर्ट ने अतिक्रमण, ट्रैफिक जाम, डे्रनेज, पार्किंग व अन्य मामलों पर अधिकारियों को कई आदेश दिये। राज्य सरकार को एक समन्वय समिति बनाने को कहा ताकि जन समस्या के समाधान में कोई अडंगा नहीं लगे। समिति में नौकरशाह के अलावा तकनीकी विशेषज्ञ खासकर टाउन प्लानर रखने के लिए कहा। ट्रैफिक सुधार हेतु जगह जगह ट्रैफिक लाइट के ऊपर डिजिटल टाइमर लगाने के लिए भी कहा।
इससे पहले कोर्ट सुनवाई शुरू होते ही वरीय अधिवक्ता बसंत चौधरी ने बताया कि सरकार को सरकारी जमीन के बारे में जानकारी नहीं है। ऐसे में सरकार अतिक्रमण हटाने में नाकाम रहती है। लोग आसानी से सरकारी जमीन पर कब्जा कर लेते हैं। वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि एक साथ मुद्दों पर जवाब देना संभव नहीं है। एक एक कर मुद्दा उठाये जाने पर जवाब देने में आसानी होगी और कोर्ट के समक्ष सही तथ्य रखे जा सकते हैं।