बिहार में इस वक़्त जातीय जनगणना को लेकर पुरे देशभर में खलबली मची हुई है। साल 1931 में बहुजन समाज पार्टी के नेता कांशीराम द्वारा ही पहली बार जातीय जनगणना की मांग की गयी थी। लेकिन इस बीच समाजपार्टी के नेता द्वारा ही इस जनगणना पर तीखी प्रतिक्रिया दी गयी है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क की। जहाँ एक तरफ समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव इस पर अपनी साझेदारी दिखा रहे हैं तो वहीँ दूसरी ओर उन्हीं के नेतागण इसी बात को लेकर तीखे प्रवचन दे रहे हैं। उन्होंने जातीय जनगणना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है की "इस वक़्त इसकी क्या ज़रूरत थी" उन्होंने कहा है की "मैं देश विकास, शिक्षा और एक बेहतर प्रधानमंत्री चाहता है इनमें से तो कुछ भी नहीं है। उनसे ये पूछा जाना चाहिए कि अगर आप देश चला रहे हैं तो आपने इसके विकास के लिए क्या किया है"