उत्तर प्रदेश सरकार के शराब नीति में बदलाव के निर्णय को जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने शराबबंदी के बिहार मॉडल की बड़ी जीत बताया है। जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने सोमवार को यहां कहा कि बिहार में शराबबंदी एक युगांतकारी एवं क्रांतिकारी फैसला है। उत्तर प्रदेश सरकार का शराबबंदी को लेकर आबकारी कानून में बड़ा बदलाव किया जाना शराबबंदी के बिहार मॉडल की एक बड़ी जीत है। आज पूरे देश में इस फैसले को लेकर एक सकारात्मक वातावरण बना है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने जो यह निर्णय लिया है निश्चित तौर पर शराब मुक्त भारत बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम इस्तेमाल करने के अलावा कभी भी उनके पद चिन्हों पर चलना स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने अपने जीवन में शराब का विरोध किया और कई मौकों पर मुखर होकर शराबबंदी के बारे में कहा भी था।
जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि शराबबंदी के फैसले को बापू के चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी समारोह से जोड़कर देखा जाना चाहिए। शराब मुक्त भारत बापू के सपनों का भारत है और महात्मा की कर्मभूमि ने शराबबंदी के जरिए बापू को सच्ची श्रद्धांजलि दी। उन्होंने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 47 में शराबबंदी को लेकर प्रावधान किया गया है।
राजीव रंजन ने कहा कि बिहार की महिलाओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से राज्य में शराबबंदी लागू करने की मांग की और उनकी मांग पर ही मुख्यमंत्री ने 01 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी। इस फैसले ने बिहार के गांवों की तस्वीर बदल कर रख दी है। इस निर्णय ने बिहार की महिलाओं के जीवन में नई रोशनी ला दी है।
उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी एक युगांतकारी एवं क्रांतिकारी फैसला है। इससे प्रदेश में घरेलू हिंसा, महिला उत्पीड़न, सड़क दुर्घटनाओं जैसे कई मामलों में कमी आई है साथ ही महिलाओं का सशक्तिकरण भी हुआ है। जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि शराबबंदी जैसे फैसले इतने आसान होते तो देश मे कई बार इसे बदलने की त्ररूरत नहीं पड़ती।
हरियाणा में वर्ष 1996 में पूर्ण शराबबंदी का फैसला हुआ और 1998 में उसे बदलना पड़। वहीं, बिहार में 1977 में शराबबंदी के फैसला हुआ और 1978 में उसे बदलना पड़ा। शराबबंदी को लेकर अपने संकल्प को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अनेक अवसरों पर दोहरा चुके हैं कि शराबबंदी के फैसले को वापस लेना असंभव है। जिन मामलों में शिथिलता बरती गई है उस पर कार्रवाई कर दोषियों को दंडित किया जाएगा।