पटना, पंजाब केसरी: बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने कहा है कि नागालैंड में जदयू विधायक ने नीतीश की पलटीमार राजनीति के नक्शे-कदम का अनुसरण कर ही भाजपा गठबंधन की सरकार को समर्थन दिया है। धोखे और तिकड़म की राजनीति करने वाले नीतीश कुमार ने 1977 में कर्पूरी ठाकुर को धोखा दिया। दमकिपा से लेकर जनता पार्टी, जनता दल, समता पार्टी और जदयू का पूरा इतिहास नीतीश कुमार की पलटी मार, अवसरवादी, धोखेबाजी की राजनीति से भरा पड़ा है। जितने लोगों को नीतीश ने दगा, धोखा देकर अपनी राजनीति चमकाई है, वैसी मिसाल शायद ही कहीं देखने को मिलेगी।
उन्होंने कहा कि नागालैंड के मामले में जदयू नेतृत्व का भाजपा पर आरोप दरअसल ‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे’ वाली कहावत को चरितार्थ करने वाली है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अतिमहत्वाकांक्षा में जदयू का अस्तित्व बिहार में भी नहीं बचने वाला है। जिस तरह से एक-एक कर उनके लोग उन्हें छोड़ कर जा रहे हैं, उससे नीतीश कुमार को चेत जाना चाहिए। नीतिविहीन, सिद्धांतहीन राजनीति का खामियाजा अन्ततः जदयू के विसर्जन के रूप में नीतीश कुमार को भुगतना होगा। श्री चौधरी ने कहा कि इसके पहले मणिपुर और अरूणाचल प्रदेश में भी जदयू की नीतियों से क्षुब्ध पूरी इकाई भाजपा का दामन थाम ली थी। नागालैंड के हाल के चुनाव में जदयू के टिकट पर जीते एकमात्र विधायक ज्वेंगा सेब ने वहां की भाजपा-एनडीपीपी गठजोड़ की सरकार को बिना शर्त अपना समर्थन देकर एक तरह से वहां की राजनीति में अपने अस्तित्व को बचाया है। नागालैंड में विपक्ष का एक भी सदस्य नहीं है। ऐसे में जदयू के एक मात्र विधायक के पास अपनी राजनीति को बचाने के लिए दूसरा कोई विकल्प भी नहीं था।
उन्होंने कहा कि जदयू नेतृत्व और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भाजपा पर आरोप लगाने से पहले अपनी पलटीमार सिद्धांतविहीन राजनीति की समीक्षा करनी चाहिए। केवल दीवारों पर महात्मा गांधी के 7 आर्ष वाक्यों को लिखवाने से नहीं बल्कि उसके अनुरूप आचरण करने से राजनीतिक शूचिता कायम रहती है। हकीकत है कि आज जदयू जिस तरह की नीतिविहीन अनैतिक राजनीति की राह पर चल कर,जनादेश का अपमान कर अपनी सत्ता बचाए रखना चाहता है उससे बिहार में भी उसका अस्तित्व नहीं बचने वाला है।