बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी इन दिनों अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं। हाल ही में शराबबंदी को लेकर बिहार सरकार को घेरने वाले मांझी ने पटना में भुइयां मुसहर सम्मेलन के दौरान पंडितों को लेकर विवादित बयान दिया, जिससे विवाद खड़ा हो गया।
भुइयां मुसहर सम्मेलन के आयोजन में मांझी मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि “आजकल गरीब तबके के लोगों में धर्म की परायणता ज्यादा आ रही है। सत्यनारायण भगवान की पूजा का नाम हम लोग नहीं जानते थे। **** अब हर टोला में हम लोगों के यहां सत्यनारायण भगवान पूजा होती है। इतना भी शर्म लाज नहीं लगता है कि पंडित **** आते हैं और कहते हैं कि कुछ नहीं खाएंगे आपके यहां...बस कुछ नगद दे दीजिए।
मांझी के बयान का पार्टी ने किया बचाव
मांझी के इस बयान पर विवाद खड़ा हुआ तो उनकी पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान उनके बचाव में खुद पड़े और कहा कि उनके नेता के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट तरीके से कहा है कि कुछ लोग ब्राह्मण भाइयों को अपने घर में बुलाते हैं मगर वह ब्राह्मण उन गरीबों के घर में खाना भी नहीं खाते हैं, मगर फिर भी उन्हें पैसा दे दिया जाता है। मांझी ने ऐसे लोगों का विरोध किया है।
शराब को लेकर दिया था विवादित बयान
गौरतलब है कि मांझी ने कुछ दिनों पहले शराबबंदी को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि शराब पीना गलत नहीं है। मेडिकल सांइस भी यही कहता है कि थोड़ी मात्रा में शराब का सेवन लाभदायक है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि डीएम-एसपी से लेकर विधायक और मंत्री तक शराब पीते हैं, उन्हें तो कोई गिरफ्तार नहीं करता है।
पूर्व सीएम ने कहा कि बिहार में बड़े-बड़े अफसरों के साथ-साथ एमपी-एमएलए रात 10 बजे के बाद शराब का सेवन करते हैं। शराबबंदी कानून की आड़ में गरीबों और दलितों को पकड़कर जेल में डाला जा रहा है। आधा बोतल और एक बोतल शराब का सेवन करने पर जेल भेजा जा रहा है। अगर कोई 50 लीटर 100 लीटर के साथ पकड़ में आ रहा है तो उसको जेल भेजो।