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स्वयं सहायता समूह को 7 प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज और सभी सदस्यों को मिले 10 हजार ओडी की सुविधा: उपमुख्यमंत्री

सभी जिलों में 6 से 7 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज देने की व्यवस्था के साथ ही समय पर कर्ज की किस्त का भुगतान करने वालों को 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान देने की मांग भी उन्होंने की है।

पटना : आम बजट से पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को पत्र लिख कर उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने बिहार में जीविका के तहत संचालित स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की कर्ज सीमा विभिन्न चरणों में 1 से 5 लाख से बढ़ा कर 3 से 10 लाख करने, समूह के सभी सदस्यों को 10 हजार रुपये की ओवरड्राफ्ट (उघार) की सुविधा बैंको द्वारा देने, राज्य के सभी जिलों में समूह के सदस्यों को 6 से 7 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज देने और समय पर कर्ज की किस्त चुकाने वालों को 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान देने, रिवाॅल्विंग फंड की सीमा 15 हजार से बढ़ा कर 50 करने व डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए सभी समूह को कम्प्यूटर, टैबलेट, प्रिंटर व अन्य संसाधन उपलब्ध कराने की मांग की है। 
इसी प्रकार एसएचजी को बिहार के 17 पिछड़े जिलों में तो 6 से 7 प्रतिशत ब्याज पर मगर शेष 21 जिलों में 10 से 12 प्रतिशत के समान्य ब्याज दर पर कर्ज दिया जाता है। सभी जिलों में 6 से 7 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज देने की व्यवस्था के साथ ही समय पर कर्ज की किस्त का भुगतान करने वालों को 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान देने की मांग भी उन्होंने की है। 
श्री मोदी ने कहा कि एसएचजी वित्त पोषण को बढ़ाने के लिए ‘वोमेन इम्पाॅवरमेंट इन्टरपेन्योरशिप फंड बनाने की जरूरत है ताकि बैंक इसके जरिए अधिक से अधिक समूह को पर्याप्त कर्ज दे सके। इसके साथ ही रिवाॅल्विंग फंड की सीमा 15 हजार से बढ़ा कर 50 हजार किया जाए जिससे समूह अपने सदस्यों को अधिक से अधिक मदद कर सकें। स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को परिवार के किसी एक सदस्य की जगह सभी सदस्यों को 10-10 हजार रुपये का बैंक ओवरड्राफ्ट की सुविधा दें। 
श्री मोदी ने कहा है कि बिहार में जीविका के तहत 8 लाख से ज्याद स्वयं सहायता समूह के अन्तर्गत करीब एक करोड़ ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हैं जिनकी कर्ज वापसी की दर 98.5 प्रतिशत है। उन्होंने कहा है कि फिलहाल एक से चार चरणों में आरआरबी सहित अन्य बैंकिंग संस्थाओं की ओर से समूह को 1 से 5 लाख रुपये तक का ही कर्ज मुहैय्या कराया जाता है, जिसे बढ़ा कर 3, 6, 8 और 10 लाख करने की जरूरत है। 
उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री को सुझाव दिया है कि सरकार के ‘डिजी ग्राम’अभियान को सफल बनाने के लिए एसएचजी को कम्प्यूटर, टैबलेट, प्रिंटर व अन्य संसाधन उपलब्ध कराया जाए। इससे जहां वे सफलता पूर्वक वित्तीय लेन-देन करेंगे वहीं कृषि उत्पादकता व बाजार से जुड़ी जानकारियों से भी सम्पन्न होंगे। इन कतिपय पहल से ग्रामीणों की आय को दोगुना करने में मदद मिलेगी।

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