अक्सर देखने और सुनने में आता रहता है कि ये लोग शनि ग्रह से पीड़ित हैं। इनकी साढ़े-साती चल रही है, ये शनि की ढैय्या में है तो ये शनि की महादशा और अन्तर्दशा की कुप्रभाव में है। शनि के प्रकोप से बचने के सम्बन्ध में राष्ट्रीय सम्मान से अलंकृत व अखिल भारतीय स्तर पर ख्याति पर ज्योतिष योग शोध केन्द्र, बिहार के संस्थापक दैवज्ञ पंo आरo केo चौधरी “बाबा-भागलपुर”, भविष्यवेत्ता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ ने शास्त्रोंक्त मतानुसार बतलाया कि:- शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए यह कर्म करें:-
1. लोहे की दो गोलियां लेकर आएं, एक गोली नदी में प्रवाहित करें और एक अन्य सदैव अपने साथ रखें। 2. काले घोड़े के नाल से बना छल्ला या अंगूठी दायें हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करें। यह प्रयोग बहुत कारगर सिद्ध होता है। 3. किसी बर्तन में सरसों तेल भरकर अपना चेहरा उसमें देखें और फिर उस तेल को दान कर दें। 4. राहु-केतु की लोहे या शीशे की मूर्तियों की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा में काले चावल, काले कपड़े, काले फूल व काले चंदन का प्रयोग करें। यह पूजा पीपल के पेड़ के नीचे करेंगे तो शीघ्र ही शुभ फल की प्राप्ति होगी। पूजा के बाद पीपल की सात परिक्रमा करें। परिक्रमा करने के बाद कच्चा धागा पीपल पर लपेटे।
तत्पश्चात शनि देव से प्रार्थना करें कि हमारे कष्टों और दुखों से हमें मुक्ति दिलाएं। 5. लोहे के कटोरे में सरसों तेल भरकर, काले तिल या काली चीजों का दान करें। 6. काला कपड़ा, काली गाय, काली बकरी या काले लोहे के बर्तन दान करें। इससे शनि देव प्रसन्न होंगे। इन उपायों के अतिरिक्त प्रतिदिन हनुमान चालीसा का सात बार पाठ करें और प्रतिदिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं तथा सात परिक्रमा अवश्य करें। यदि शनि की वजह से अत्यधिक कष्ट हैं तो 43 दिनों तक लगातार कौओं को दही रोटी खिलाएॅ। ऐसा करने से शनि बहुत जल्द ही आपके पक्ष में फल देना शुरू कर देंगे।
कम से कम नौ शनिवार गरीबों को भोजन कराएं, भोजन में शनिदेव के प्रिय भोज्य सामग्री रखें। प्रति शनिवार शनि के निमित्त व्रत-उपवास करें। शुभ मुहूर्त देखकर शनि कवच धारण करें तथा सात मुखी रुद्राक्ष धारण करें। शनिवार को भोजन में तिल से बनी सामग्री अवश्य ग्रहण करें। शनि संबंधी दान या उपहार बिल्कुल ग्रहण नहीं करें।
हर शनिवार इष्टदेवता को काले या नीले रंग के फूल अवश्य चढ़ाएॅ। पुरुष परस्त्री और स्त्री परपुरुष का साथ तुरंत छोड़ दें अन्यथा शनि और क्रूर हो जाएगा और उसके दुष्प्रभाव होंगे। कम-से-कम सात शनिवार एक-एक नारियल नदी में प्रवाहित करें। घर में पुरानी लकड़ी और कोयला हो तो उसे तुंरत बाहर कर दें। शनिवार को जमीन में काजल की डिबिया गाड़ दें। किसी सूखे कुएं में प्रति शनिवार को दूध डालें। श्रद्धा-विश्वास के साथ ऐसा सरल, सहज और प्रभावशाली उपाय से प्रसन्न होंगे शनिदेव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।