बिहार में जहरीली शराब पीने से होने वाली मौत की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं। इस बीच बिहार के मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने शराब पीने से होने वाली इन मौतों को शराबबंदी से अलग बताया है। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग गरीब हैं और उनमें से कुछ पैसे कमाने के लिए इस अवैध कारोबार में शामिल हैं। वे शराब बनाने और उसे बाजार में बेचने के लिए गलत तरीके चुनते हैं। गरीब उपभोक्ता ऐसी शराब खरीदता है क्योंकि यह कम कीमत पर उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सही कहा है कि अगर आप गलत चीजें पीते हैं तो आप अपनी जान गंवा सकते हैं। बिहार में शराबबंदी कानून के दोषपूर्ण कार्यान्वयन को लेकर नीतीश कुमार सरकार को अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ-साथ विपक्षी नेताओं की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण केन्द्रों को सेंटर ऑफ एक्सलेंस बनाए जाने हेतु समझौता पत्र हुआ हस्ताक्षरित
आलोचकों का मानना है कि शराबबंदी के चलते अवैध धंधे में लिप्त माफिया गिरोह चोरी-छिपे ऐसी शराब बना रहे हैं जहां शुद्धता से पूरी तरह से समझौता किया जाता है। वे ऐसी शराब बनाते हैं, जो जहरीली हो जाती है। बिहार में अप्रैल 2016 में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
इसके लागू होने के बाद, बिहार में सैकड़ों शराब की त्रासदी हुई और हजारों लोगों की मौत हो गई या उनकी आंखों की रोशनी स्थायी रूप से चली गई। इस साल 15 जनवरी को शराब की तीन दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें कम से कम 37 लोगों की मौत हो गई।