पटना (पंजाब केसरी):बिहार प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि मोदी सरकार में 1 डालर के मुक़ाबले रुपया 82 पार करने पर तुला हुआ है।यह पिछले 12 महीनों में रुपए के मूल्य में 12% से ज़्यादा गिरावट है।
उन्होंने कहा कि इस सरकार में विदेशी मुद्रा भंडार पिछले 1 महीने में 26 बिलियन डालर कम हुआ,1 साल में 642 बिलियन डालर से गिर कर 545.5 बिलियन डालर पर पहुँचा।लगातार रुपए के गिरने से देश महंगाई और बढ़ी,जनता की लोन की किश्तें भी बढ़ीं।उन्होंने बताया कि जून 2013 में रुपया 15% गिर कर 1 डालर के मुक़ाबले 58 से 69 पर पहुँचा था, लेकिन 4 महीने के अंदर रुपया को मज़बूत करके वापस 58/प्रति डॉलर पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के द्वारा लाया गया।
उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार डालर के मुक़ाबले भारत का रूपया 82 की तरफ़ तेज़ी से दौड़ लगा रहा है।अब 1 अमरीकी डालर के बदले 81.47 रुपए देने होंगे।ऐसा लग रहा है पीएम मोदी पेट्रोल की तरह रूपये से भी शतक लगवाने के लिए बेताब हैं।
आगे बात करने से पहले कुछ तथ्य सामने रख दें।पीएम बनने से पूर्व मोदी कहते थे रुपए के साथ देश के प्रधानमंत्री की साख गिरती है और सरकार बनने पर रुपए को 40/डालर पर लाएँगे। रुपए का कमजोर होना आपके और देश के कमजोर होने की निशानी है।अब देखिए एक साल पहले, सितम्बर 2021 में 1 डालर के मुक़ाबले रुपए का मूल्य 73 था जो अब 81.47 हो गया है – मतलब 12 महीने में 12% से ज़्यादा गिर गयी रुपया।
बिहार प्रदेश कांग्रेस मीडिया के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने बताया कि 26 मई 2014 को जब मोदी जी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तब 1 डालर के मुक़ाबले रूपए का मूल्य 58.62 था – मतलब मोदी जी के कार्यकाल रुपए का मूल्य 41.5% गिरा है।उन्होंने कहा कि सवाल तो यह है कि रुपए के कमजोर होने का असर आपकी जेब पर कैसे पड़ता है? रुपया कमजोर होने का मतलब है आयात की लागत बढ़ना। जैसे – कोई सामान विदेश से 1 डॉलर में आता है तो सितंबर 2021 में हमें 73 रुपए चुकाने होते थे। वहीं, अब इसी सामान के 82 रुपए चुकाने होंगे, पूरे 9 रुपए ज्यादा। जब कोई सामान विदेश से 9 रुपए ज्यादा कीमत पर देश में आएगा तो लोगों को भी महंगे दाम पर मिलेगा। जैसे – भारत 80% कच्चा तेल आयात करता है, अब यह महंगे दाम पर भारत आएगा। तेल महंगा होगा तो महंगाई बढ़ेगी, आख़िर डीज़ल के ट्रकों से ही ज़्यादातर माल (फल, सब्ज़ी, खाद्यान्न, और अन्य चीजें) ढोये जाते हैं तो उसकी लागत बढ़ जाएगी। इसकी वजह से चीजें महंगी होंगी। महंगाई का असर बैंक की किश्तों पर कैसे पड़ता है? जब महंगाई बढ़ेगी तो RBI इसे काबू करने के लिए ब्याज दर बढ़ाएगी। ऐसे में लोन की ईएमआई (किश्तें) बढ़ जाएगी और लोगों को ज्यादा रकम चुकानी होगी।