पटना (जेपी चौधरी) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी यह देश स्विट्जरलैंड, अमेरिका और लंदन नहीं है यह भारत देश है और यहां के लोग अपने विचारों और भावनाओं से सोचते हैं आप अपना चश्मा उतारकर देखें, यहां संसद और संसद से नीचे तक केवल और केवल भ्रष्टाचार ही व्याप्त है। जहां देश कोरोना वायरस से तबाह है वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फरियाद के बाद भी जनवितरण प्रणाली के दुकान में उपभोक्ताओं को राशन नहीं मिल रहा है। अगर कुछ लोगों को राशन मिल रहा है तो जिन उपभोक्ताओं का राशन पहले का बाकी था उन्हीं को राशन मिला है और मिल रहा है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये है कि पंचायत में प्रखंड अधिकारी पीड़ितों को मास्क, हाथ धोने का डिटौल साबून तथा सेनैटाइजर कहीं-कहीं दिख रहा है। अधिकारी तो इक्का-दुक्का लोगों को साबून देकर अखबार और सोशल मीडिया में अपना फोटो छपवा लेते हैं कि कोरोना भगाने में यही सबसे कारगर साबित हो रहा है। बता दें कि गरीबों के पास राशन पानी का स्टॉक समाप्त हो गया और उनके पास खाने, नहाने और पेट में खाने के लिए कुछ नहीं है। लोग एक-एक दाना के लिए तरस रहे हैं। सुबह से लेकर शाम तक यही कहा जाता है कि कोरोना से तो लोग कम मरेंगे लेकिन बिना खाये अधिक मरेंगे।
जहां-जहां बिहारी मजदूर गये, वहां बिहारियों ने विकास करने में अपनी जी जान लगा दी और आज इस विपदा की घड़ी में वहां के लोगों द्वारा इन बिहारियों के साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा है मानो बिहारी मजदूर बिना पासपोर्ट-वीजा के विदेश में निवास कर रहे हों। राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत अन्य जगहों से लोग पैदल ही अपने घरों के लिए चल दिये। रास्ते में पंचायत के मुखिया, वार्ड सदस्य, विधायक, सांसद सामाजिक संस्था, समाजसेवी किसी ने भी उनसे यह नहीं पूछा कि तुम कहां जा रहे हो खाना खाया है, पैसा है या नहीं।
बिहारी मजदूरों के साथ देश में इस तरह बर्ताव देखकर लगता है कि हिन्दुस्तान और पाकिस्तान का बंटवारा दोबारा हुआ हो। सरकार रामायण शुरू करे या महाभारत, उससे रोजमर्रा की जिन्दगी जीने वालों को कोई मतलब नहीं है। बहुत लोग बिना कार्डधारी हैं उन्हें राशन दुकान पर अनाज मिलना मुश्किल है। प्रखंडों में मार्केटिंग ऑफिसर ने कहा अभी रूक जाईये जिनके पास राशन कार्ड है पहले उन्हें ही राशन मिलेगा बाकी लोगों के लिए विचार करेंगे।
आज देश की जनता को इस विकराल परिस्थति से निकालने में बिहार लोकसभा सदस्य, राज्यसभा सदस्य जितने भी जीत कर गये हैं उन्हें इन बिहारियों के लिए सोंचना चाहिए या नहीं। आज दुर्भाग्य यह है कि देश में बिहारियों को इस तरह नजरअंदाज किया जा रहा है मानो इनका यहां कुछ हो ही नहीं। अभी-अभी दिल्ली के लोगों ने बातचीत में कहा है कि भारत सरकार ने कहा था कि इस महाविनाशकारी बीमारी कोरोना वायरस से डरने की जरूरत नहीं, कोरोना से लड़ने की जरूरत है और उसे भगाने में आप सभी का सहयोग चाहिए। हम (प्रधानमंत्री)आपसे अपील करते हैं कि आपसे चाहे आप जहां भी रह रहे हैं आपसे मकान मालिक किराया नहीं मांगेगे, आपसे मकान खाली नहीं कराया जायेगा। मगर देश की विडंबना देखिए देश में सर्वाधिक बिहारियों को समान के साथ बाहर को रास्ता दिखाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी आप दिल्ली में बैठकर भारत को स्विट्जरलैंड, लंदन, अमेरिका की तरह देख रहे हैं। प्रधानमंत्री सोंच रहे हैं कि भारत में भी गरीबों को योजना का लाभ मिलेगा, लेकिन आप कहीं गलतफहमी में तो नहीं हैं। देश की राजधानी दिल्ली से लेकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है। अगर मरने के वक्त लोगों के कफन पर जेब होता तो गरीब लोगों को जीने नहीं दिया जाता। प्रधानमंत्री जी देश में सब लोग सरकारी नौकरी नहीं करते सरकारी नौकरी करने वाला अपने घरों में लॉकडाउन मजा ले रहा है, आराम से अपने परिवार के बीच जीवन खुशहाली पूर्वक बीता रहे हैं। उन्हें न खाने, पीने, न पैसा कौड़ी, न दवाई न दारू की चिंता है क्यों, क्योंकि उनके खाते में हर महीने सरकार पैसा भेज देती है। वहीं, व्यवसायी, सब्जी बेचने वाला, ठेला चलाने वाला, वाहन चलाने वाला, प्राईवेट नौकरी करने वालों की चिंता आप क्यों नहीं करते। आज इन सभी के आंखों के सामने काला धब्बा दिखाई दे रहा है कि आगे की जिन्दगी कैसे कटेगी, बीबी बच्चे कैसे जी पायेंगे।
प्रधानमंत्री जी भारतीय लोकतंत्र में गरीब-गुरबा आपको अपना बहुमूल्य वोट देकर देश की सर्वोच्च कुर्सी पर विराजमान किया है क्यों, क्योंकि आपके आप जैसे व्यक्तित्व के आने से देश और देश की जनता का भला हो सके। लोगों को कुछ नहीं पता कि आप देश की जनता को कैसे संभाल पायेंगे आप ऑनलाइन या मेल लाइन राहत पहुंचाए मगर सहायता जरूर करें। आज सभी जगह भ्रष्टाचार रूपी कोरोना वायरस विराजमान है। जिलाधिकारियों से बात करने पर कहा जाता है कि आप लोगों को इन गरीबों से क्या लेना-देना आप अपने काम से काम रखिये।
इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक नेताओं का मुख्य एजेंडा कोरोना वायरस और कोरोना वायरस को जड़ से मिटाना मुख्य एजेंडा होगा। इस तरह दूसरे राज्यों में भी मुख्यमंत्री अलर्ट हो गये हैं। डबल इंजन की सरकार में नीतीश कुमार एक अणे मार्ग से निकल कर कम से कम गरीब बस्ती में जाकर देखे कि उन्हें जन वितरण प्रणाली के दुकान से कितना अनाज मिल रहा है। अगर इसी तरह से लॉकडाउन को बढ़ाया गया तो गरीब के घरों में गरीबी ही महाविनाशकारी साबित होगा। क्योंकि देश की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नाज करते आये हैं।
वहीं, बिहार में आज तक एक सूई का कारखाना तक नहीं लग सका। कोरोना ने उन्हें न घर का छोड़ा और न ही घाट का छोड़ा। केन्द्र और राज्य सरकार मिलकर इस बीमारी से निजात दिलाएं। गरीब जनता को न तो मास्क, न डिटौल, न सेनैटाइजर चाहिए चाहिए तो केवल और वल पेट भरने के लिए गेहूं और चावल ताकि दो वक्त का खाना खा सकें।