पटना, (जेपी चौधरी) : दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र का देश भारत को कहा जाता है। जिस तरह बगीचा में हर तरह के फूल खिलते हैं उसी तरह भारत में सभी तरह के जाति व धर्म के लोग जिंदगी जीते हैं। खेत-खलिहान के वोटर सामने आकर अपने पार्टी नेताओं की प्रशंसा न कर चुप्पी साधे रहे। देश के महापर्व पंजाब केसरी बिहार संस्करण के पत्रकारों की टीम एवं सोशल वर्कर जो अपने आपको कम पढ़ा-लिखा समझते हैं, उनकी पैठ समाज में अच्छी है। लोकसभा चुनाव में पत्रकार की टीम एवं समाजसेवी खेत-खलिहान जाकर मतदाताओं की राय जानी। प्राप्त जानकारी अनुसार एनडीए 21 सीट पर, वहीं महागठवंधन 19 सीट पर जीत हासिल कर सकती हैं। विदित हो कि राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद के चेहरे को लेकर चुनाव में 19 सीट पर प्रत्याशी उतारा, वहीं आरा के एक सीट भाकपा माले को दिया गया। इस बार राष्ट्रीय जनता दल सुप्रिमो के छोटे पुत्र एवं प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव स्थानीय मुद्दों को लेकर केन्द्र एवं राज्य सरकार को घेरते हुए चुनावी सभा में बताया कि शराबबंदी में सरकार फेल्युवर साबित हो रही है अब ज्यादा कीमत में शराब मिलती है। बालु का दाम इतना ज्यादा कर दिया गया कि गरीब-गुरबा न पक्का मकान बना सकें, यहां तक कि सरकारी योजना के तहत इंदिरा आवास नहीं बन सका।
संविधान बचाओ, बीमार पिता से पुुत्र को नहीं मिलने दिया जाता है। लालू प्रसाद को आरएसएस एवं भाजपा विरोध होने कारण सलाखों के पीछे रखा गया वहीं बड़े-बड़े भ्रष्टाचारी बाहर में घुम रहे हैं। नीतीश कुमार और नरेन्द्र मोदी के चलते आज लालू प्रसाद जेल में हैं। सवर्ण जाति को मिलने वाली आरक्षण पर पुर्न विचार करने की जरूरत है। यहीं सब मुद्दा को लेकर राजद जनता के बीच गया था। वहीं कांग्रेस के युवा नेता एवं भावी प्रधानमंत्री राहुल गांधी के चेहरे पर 09 प्रत्याशी खड़ा किया। कांग्रेस लोगों के बीच जाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खामियां और साढ़े चार साल के शासन काल में बढ़ी बेरोजगारी के बारे मे बताया। डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया फेल्युवर साबित हुआ। 15 लााख रूपया देने का वादा जुमला रहा। नोटबंदी से अमीरों को फायदा हुआ न कि गरीबों को। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी सभा कर उन्होंने 12 हजार से कम आमदनी वालों को प्रतिमाह 6 हजार रूपया देने की बाते कही। इस योजना सेे करोड़ों गरीबों को फायदा होगा। वहीं प्रत्येक वर्ष नौजवानों को पंचायत से केन्द्र तक करोड़ों लोगों को नौकरी दिया जायेगा।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा केन्द्रिय राज्यमंत्री होने के बाबजूद भी देश में शिक्षा एवं जूडियशल के क्षेत्र में लड़ाई लड़ी उन्हें 5 सीट मिला। हम (से.) के सुप्रिमो सह पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने दलितों के लिए आवाज उठाते रहे उन्हें तीन सीट मिला। आज तक निषाद समाज को कोई भी पार्टी आगे नहीं बढ़ायी, जिससे सामज मौन थी। सन ऑफ मल्लाह मुकेश साहनी समाज के लिए लड़ाई लड़ी और निषाद समाज को एससी एसटी में शामिल करने के लिए उन्हें 3 सीट पर प्रत्याशी खड़ा किया। वहीं एनडीए में भाजपा लोजपा, जदयू है। जदयू के सुप्रीमो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में सडक़, पुल-पुलिया एवं संघीय ढांचा निर्माण में अहम भूमिका निभाया। मगर इनका सात निश्चय योजना में नल, जल लागू हुआ, लेकिन जलमीनार से जल नहीं निकलता, जिसके चलते मतदाताओं में गुस्सा है। शराबवंदी योजना से दलित- महादलित समाज में आमदनी में बचत हुई है। बच्चे को शिक्षा दे रहे है। वहीं कुछ क्षेत्रों में धड़ल्ले से शराब बन रहा है। अमीर लोग ज्यादा कीमत देकर अंग्रेजी शराव पी रहे है। बेकसुरों को जेल में डालना इससे भी वोटर नाराज है। बालू का दाम बढऩे से गरीबों को पक्का मकान बनाना आसान नहीं रहा। बालु के बढ़े दामों से सरकारी योजना के तहत इंदिरा आवास भी नहीं बन रहा है।
नदी के किनारे रहने वाले गरीबों को बालू उठाव पर रोक लगाया जाता है। ठेकेदार प्रशासन का डर सताता है। बालू नहीं मिलने से मिस्त्री और लेबर बेरोजगार हो गये इसका गुस्सा भी वोटरों में है। इसलिए यह 17 सीट पर प्रत्याशी खड़ा किया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी जिनका केन्द्र और बिहार में सरकार चल रही है। मोदी जी ने जितना योजना बनाया उनका सांसद प्रतिनिधि जमीन पर काम नहीं किया। जहां एक तरफ मोदी सरकार कहता है कि स्वास्थ्य को लेकर एशिया में पहली बार आयुष्मान भारत योजना लागु हुआ, जिसका लाभ गरीबों को नही मिल रहा है। अभी भी ग्रामीण क्षेत्रो में इस योजना का कार्ड गरीबों को नही मिला है। प्रधानमंत्री का आर्दश ग्राम योजना टॉय-टॉय फीस है। भाजपा सांसदों ने गांव को गोद ले लिया, लेकिन आर्दश ग्राम नहीं बना सका। वोटरों का कहना है कि जब आदर्श ग्राम नहीं था तो पानी मिलती थी लेकिन अबसब नदारत है। यह भी योजना पांच साल में कुछ नहीं हुआ।
वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारो को रोजगार नहीं मिलने का गुस्सा है। मोदी जी के साढ़े चार साल के शासनकाल में केवल रेलवे मेें वैकेंसी निकला वह भी सीमित। इसके आलावा किसी विभाग में बहाली नहीं हुयी इसका भी गुस्सा नौजवानों में है। बीच में जो पकौड़े की बात निकली उससे भी लोगों में नाराजगी है। वहीं मोदी जी के कोई भी सांसद ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणें के दुख दर्द में आना मुनासिव नहीं समझते है। मोदी जी चुनावी प्रचार के लिए जमुई, गया, भागलपुर, अररिया, दरभंगा, मुज्जफरपुर, बाल्मिीकीनगर बक्सर, सासाराम और पटना के पालीगंज में अंतिम सभा हुयी। सात चरण के चुनाव में प्रधानमंत्री ने 11 सभाएं किये उसके वावजूद भी पिछड़ा-अतिपिछड़ा, दलित-महादलित वोटरों का चुनावी रंग फीका दिखाई दिया। अल्पसंख्य भाजपा बिरोधी तो है ही मगर हिन्दु के सभी जातियों में भी उल्लास नहीं दिखाई दे रही है। सवर्ण भाजपा के साथ थे। 10 प्रतिशत आरक्षण देने के बाद भी सभी सवर्ण भाजपा के साथ नही दिख रहे है। मगर लोकतंत्र वोट के अनुसार चलता है। बिहार में पिछड़ा-अतिपिछड़ा, दलित-महादलित, अल्पसंख्यक मतदाता की संख्या ज्यादा है। वहीं लोजपा के सुप्रिमो राम विलास पासवान केन्द्र में किसी की भी सरकार हो वे मंत्री बने रहे। देश मे दलितों के मसीहा कहे जाने वाले उनका भी सिक्का दलित माहदलित पिछड़ा पर नही चल पाया । ये भी 6 सीट पर प्रत्याशी उतारे है। देश में सबसे बड़ा लोकतंत्र में जनता मालिक होता है। बाकी जजमेंट 23 मई को सबके सामने आयेगा।