बिहार विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को जीत मिली है। राजग (एनडीए) ने 125 सीटें जीती हैं, जो पूर्ण बहुमत के लिए जरूरी 122 सीट के जादुई आंकड़े से तीन अधिक है। विपक्षी महागठबंधन के खाते में 110 सीटें आई हैं। एक सीट पर एलजेपी, पांच सीटों पर एआईएमआईएम और अन्य के खाते में 2 सीटें गई हैं।
बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार ने साबित कर दिया कि उनका सुशासन बिहार जनता की पहली पसंद है और वहां के लोग अभी भी उनपर भरोसा करते हैं। हालांकि, इस बिहार विधानसभा चुनावको पूरी तरह से नीतीश कुमार के पक्ष में करने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से बिहार में ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां की उसके बाद से राजग यानि एनडीए पर बिहार की जनता का भरोसा बढ़ गया। प्रधानमंत्री ने लोगों को आगाह किया कि उनका वोट एक बार फिर बिहार में जंगलराज ला सकता है। पीएम मोदी की यही बात शायद बिहार की जनता के दिल में घर कर गई। इसके बाद चुनाव के दिन जो हुआ वह आज सबके सामने है।
निर्वाचन आयोग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, बिहार में सत्ताधारी राजग में शामिल भाजपा ने 72 सीटों पर, जदयू ने 42 सीटों पर, विकासशील इंसान पार्टी ने 4 सीटों पर और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की है।
बता दे कि रात्रि 1 बजे चुनाव आयोग की प्रेस कांफ्रेंस में बताया गया कि मात्र 17 सीटों पर गिनती जारी है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में राजग की जीत पर राज्य की जनता का आभार जताते हुए सभी को बधाई दी है।
वही ,जेडीयू इस बार सहयोगी बीजेपी से बहुत पीछे है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि एनडीए की ओर से बिहार में सीएम कौन बनेगा? हालांकि चुनाव से पहले पीएम मोदी समेत बीजेपी के नेताओं ने कहा है कि नीतीश कुमार ही बिहार के सीएम होंगे। लेकिन राजनीति का ऊंट जिस तरह करवट ले रहा है, उसमें ये देखने वाली बात होगी कि क्या बीजेपी बदले राजनीतिक माहौल में सीएम के रूप में नीतीश की ताजपोशी करने को तैयार होगी।
बता दे कि चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी ने एनडीए से अलग चुनाव लड़ा है। वहीं, जीतन राम मांझी की ‘हम’ और ‘सन ऑफ मल्लाह’ मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी शामिल एनडीए में शामिल हुई है। दूसरी तरफ महागठबंधन में आरजेडी ,कांग्रेस और वामदल शामिल हैं।
वही , इस बार काफी आसार इस बात के भी हैं कि पीएम मोदी बिहार की राजनीति से पूरे देश को एक बड़ा संदेश दें। नीतीश एनडीए के सबसे पुराने सहयोगी हैं। मोदी के दूसरे कार्यकाल में कई एनडीए के कई साथी अलग हुए हैं। शिवसेना के बाद हाल में अकाली दल ने भी एनडीए से किनारा कर लिया था। हो सकता है कि सहयोगी दलों को भरोसा दिलाने और भविष्य की राजनीति के मद्देनजर बीजेपी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी देकर बड़ा संदेश दें। मोदी का खुला विरोध कर एक बार नीतीश अलग हो चुके हैं। नीतीश को दोबारा मुख्यमंत्री बनाकर मोदी अपने बड़े दिल की छवि और गढ़ सकते हैं।
जैसा कि आपको बताते चले कि बिहार में इस बार तीन चरणों में मतदान हुआ। कोरोना काल में देश में हुआ ये पहला विधानसभा चुनाव था। कुल 243 सीटों पर 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को वोट डाले गए। पहले चरण में कुल 71 सीटों पर 53.54 फीसदी, दूसरे चरण में 94 सीटों पर 54.05 फीसदी और तीसरे चरण में 78 सीटों पर 59.94 फीसदी मतदान हुआ।