पटना : खेत- खलिहान, किसान-मजदूर जिन्होंने देश के कदम से कदम मिलाकर चलने का काम किया। जब देश में 60 करोड़ की आबादी थी उस समय अन्नदाता किसान देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए संघर्ष किया और आज सवा सौ करोड़ की आबादी में किसान फटेहाल और बदहाल का जीवन जीने को मजबूर हैं। आज किसान भाई बेवसी का शिकार हो रहे हैं। ये बातें पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में राष्ट्रीय गांव बचाओ किसान बचाओ महारैली को संबोधित करते हुए समता पार्टी-सेकुलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जहानाबाद के सांसद डा. अरूण कुमार ने कहा। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर की घटना ने पूरे देश को शर्मसार किया है। इस घटना में बकरे का बली मंजू वर्मा को बनाया जा रहा है लेकिन असली दोषी खुद नीतीश कुमार हैं।
चारा घोटाला में सभी लोगों ने पैसा खाया, लेकिन समता पार्टी के लोगों ने नहीं। चारा घोटाला से बड़ा सृजन घोटाला है। नीतीश कुमार वित्त मंत्री से मिलकर अपना उल्लू सीधा करना चाहता है, नहीं तो आज वे जेल में होते। लालू जी बोलते ज्यादा थे लेकिन अत्याचार नहीं करते थे वहीं नीतीश जी बोलते कम हैं और अत्याचार ज्यादा करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों की स्थिति भी दयनीय है। आनंद मोहन जिन्होंने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने अहम भूमिका निभाया था लेकिन आज वे जेल में हैं अगर हमारी सरकार बनी तो उन्हें जेल से निकालना हमारी पहली प्राथमिकता होगी।
डा. अरूण ने कहा कि जब किसान पूंजी नहीं लगाते थे तब किसान खुशहाल थे अपने खेतों में चावल उत्पादन कर लेते थे लेकिन अब किसान बीच बाजार में पानी बाजार खरीद कर ला रहा है और बाजारवाद के चक्कर में देश के किसान गुलाम बन गये। किसान उस समय खड़ा हो सकता है जब वे खुद बीज पैदा करेंगे। पूंजीपति लोग किसानों को गुलाम बनाने के लिए बाजारवाद में तब्दील कर दिया। हमारा फसल खेत से खलिहान में नहीं आता बल्कि खेत से बिक्री हो जाता है। बड़े -बड़े पूंजीपति अरबों रुपया बैंक से ऋण लेकर भाग रहे हैं लेकिन किसान भाई कुछ रुपयों के कारण आत्महत्या कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पूरे देश में किसानों को कृषि ऋण मुक्त किया जाये और प्रत्येक किसान को पांच हजार प्रोत्साहन राशि दिया जाये, जिस तरह तेलंगाना में दिया जा रहा है, चाहे खेती अच्छी हो या खराब। उन्होंने मुख्यमंत्री पर हमला करते हुए कहा कि नीतीश कुमार जी कथनी और करनी में जमीन और आसमान का फर्क है। एक समय इन्होंने नारा दिया कि कृषि रोड मैप बनायेंगे। देश में सभी के थाली में बिहारी व्यंजन मिलेगा। मगर बिहार में ही इनका बिहारी व्यंजन गायब है। नीतीश कुमार कोसे हुए हिजड़ा के सहारे राज्य चला रहा है अरूण कुमार इससे डरने वाला नहीं है।
टिकट दे या नहीं मुझे परवाह नहीं, मैंने सदैव जॉर्ज फर्नाडीस और राजनारायण के साथ सडक़ पर संघर्ष करते रहा हॅू। उन्होंने कहा कि नीतीश जी को हमने अपनी जवानी के पूरे 14 साल दे दी। लेकिन नीतीश जी ने हमारे जैसे को धोखा देने का काम किया। भागलपुर सृजन घोटाला में मुख्यमंत्री खुद जिम्मेवार हैं। अगर सही से जांच किया जाये तो नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी जेल में होगे। चारा घोटाला से भी बड़ा घोटाला सृजन घोटाला है। उन्होंने कहा कि हमने तीन तीन योजनाएं बिहार में लेकर आया। लेकिन विकास पुरूष नीतीश कुमार ने एक भी योजना को एनओसी नहीं दिया। लालू जी के विरोध में हमने 14 सालों तक लड़ाई लड़ा। मगर लालू जी सौ गुणा अपराधी नीतीश कुमार हैं। बिहार के 40 चीनी मिल बेचकर भी किसानों को पैसा नहीं दे सका। बिहार में शिक्षा की स्थिति बहुत खराब है। 1990 में 13 हजार शिक्षक थे और आज मात्र 5 हजार शिक्षक हैं।
स्कूल और विश्वविद्यालयों में पांच पांच साल छात्र छात्राओं को कॉपी रखा करता था लेकिन अब एक साल में ही बिक्री कर दिया जा रहा है। कोई भी छात्र की कॉपी दोबारा जांच हेतु कहा जाता है तो कहा जाता है कि कॉपी की बिक्री हो गयी अब कॉपी नहीं है। उन्होंने अपराध पर कहा कि बिहार में अपराध बेलगाम है पुलिस सरकार की दलाली कर रहा है हमारे लोकसभा क्षेत्र में सरकार के लोगों ने हमारे साथ मारपीट किया। मगर आज तक दलाली करने वाले पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी।
उन्होंने जदयू को खुला चुनौती देते हुए कहा कि आप अकेले और राष्ट्रीय समता पार्टी सेकुलर अकेले चुनाव लड़ेंगे आपका बिहार में पटखनिया दे ही देंगे। महारैली को संबोधित करने वालों में राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अजय कुमार अलमस्त, विज्ञान स्वरूप सिंह, ओमप्रकाश बिन्द, ऋतुराज, तारिणी प्रसाद सिंह, शिवपूजन शास्त्री, श्याम किशोर सिंह, कुमारी ज्योति, गौतम कुमार चन्द्रवंशी, मो. खुर्शीद अनवर, श्रीमती नूतन सिन्हा, श्रीमती माया श्रीवास्तव, श्रीमती धनवंती देवी, श्रीमती अनुपमा सिंह यादव, उमा शंकर उर्फ पप्पू शर्मा, प्रमोद कुमार सिंह, राजकुमार, असगर अली खान, अनिल तलान, मेजर अमर सिंह चौहान, चेतन आनंद, सुरेन्द्र गोप, सुब्रतो राय, रविशंकर उर्फ पप्पू शर्मा, नाथुराम चौहान, जुगल चावला, ऋषि त्यागी, उत्तम गिरी, अशोक अरोड़ा, मनोज सिंह भारद्वाज, उदय भान इत्यादि उपस्थित थे।