पटना ‘प्रिंट व इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के साथ संवाद कला’ पर भारत सरकार द्वारा आयोजित भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के वर्कशाॅप को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कश्मीर में कोई पहली बार मोबाइल व इंटरनेट सेवा नहीं रोकी गई है। 05 अगस्त को अनुच्छेद 370 व 35 ए हटाने के बाद उत्पन्न विशेष परिस्थिति व देश हित में आतंकियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने व उनके पाकिस्तान में बैठे आकाओं से सम्पर्क काटने के लिए यह जरूरी था कि पूरे क्षेत्र की इंटरनेट व मोबाइल सेवा रोकी जाय।
कश्मीर के अलावा अन्य राज्यों में भी जब कभी दंगा, फसाद, साम्प्रदायिक तनाव आदि की स्थिति उत्पन्न होती है तो अफवाहों व दुष्प्रचार पर रोक लगाने के लिए मोबाइल व इंटरनेट सेवा को सीमित समय के लिए बाधित किया जाता रहा है।
इसके पहले कश्मीर में 2012 से 16 के बीच 31 बार इंटरनेट सेवा बंद की गयी थी। एनकाउंटर में आतंकी सरगना बुरहान बानी के मारे जाने के बाद पत्थरबाजों व आतंकियों पर अंकुश लगाने व स्थिति समान्य करने के लिए 3 महीने के दौरान कश्मीर में 5 बार इंटरनेट सेवा रोकी गयी थी और उस दौरान 33 लोग मारे गए थे।
उन्होंने कहा कि 1975 में पूरे देश में इमरजेंसी लगा कर अखबारों पर सेंसरशीप लगा दिया गया था। लाखों लोगों को जेल में डाल दिया गया था। कश्मीर में कुछ नेताओं की नजरबंदी पर हाय तौब्बा मचाने वालों को मालूम होना चाहिए कि कश्मीर के सबसे बड़े नेता शेख अब्दुला को 13 साल तक जेल रखा गया था।
एक स्थानीय होटल में आयोजित इस पांच दिवसीय कार्यशाला में भाग लेने के लिए देश के 10 राज्यों के भारतीय वन सेवा के सीनियर अधिकारी पटना आए हुए हैं।