बिहार की राजनीति में इन दिनों एक पुराने मसले पर भूचाल आया हुआ है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बिहार में सत्ताधारी गठबंधन के दो घटक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (युनाइटेड) में अब दूरियां बढ़ती जा रही हैं। जदयू के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को इस मामले में दो कदम आगे बढ़ते हुए यहां तक कह दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो इस मामले को लेकर आंदोलन भी किया जाएगा।
कुशवाहा ने सोमवार को कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने में कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री या सरकार चाहे तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल सकता है और इसमें आ रही तमाम बाधाओं को भी दूर किया जा सकता है। कुशवाहा ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, यह जदयू की शुरू से ही मांग रही है। पार्टी आज भी यह मांग कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ेगी तो इसे लेकर आंदोलन भी किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि नीति आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में बिहार के पिछड़ेपन की ओर इशारा किया है। ऐसी स्थ्तिी में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विशेष पैकेज और विशेष राज्य का दर्जा दो अलग-अलग चीजें हैं। कुशवाहा यहीं नहीं रुके। उन्होंने भाजपा के नेताओं द्वारा विशेष पैकेज की राशि को लेकर दिए जा रहे बयान पर कहा कि अगर ज्यादा पैसा बिहार को केंद्र सरकार दे रही है तो उन्हें बताना चाहिए कि किस-किस मद में सरकार पैसा ज्यादा दे रही है, कितना खर्च हुआ, इस बात की जानकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी जानी चाहिए।
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इधर, कुशवाहा के बयान पर बिहार के मंत्री और भाजपा के नेता नितिन नवीन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के विकास के लिए जो भी किया जाना चाहिए, वह सबकुछ किया जा रहा है। सभी को मिलकर बिहार के विकास के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र में लोकतांत्रिक तरीके से आंदेालन करने का अधिकार सभी को है।