पटना : सेंटर फॉर एन्वॉयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट-सीड ने बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन-बीआईए के साथ मिलकर अक्षय ऊर्जा के व्यापार पर केंद्रित ट्रांस बाउंड्री एनर्जी ट्रेड इन साउथ एशिया बैठक का आयोजन किया।
जिसका उद्देश्य दक्षिण एशिया में अक्षय ऊर्जा व्यापार व लेन-देन पर जारी पहल को मजबूत करने के लिए विमर्श करना था ताकि राज्य में कम कार्बन विकास मार्गको और सशक्त किया जा सके। यह बैठक भारत और नेपाल के बीच सीमा पार अक्षय ऊर्जा कारोबार एवं लेन-देन के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक प्राथमिक कदमों को तलाश करने पर केंद्रित रही। साथ ही रिन्युएबल एनर्जी डेवलपर्स के लिए प्रभावी बिजनेस मैनेजमेंट रणनीतियों की योजना बनाने में मदद प्रदान करने पर भी सार्थक संवाद हुआ।
इस बैठक के स्वागत भाषण में रिन्युएबल एनर्जी सब-कमिटी के अध्यक्ष सुबोध कुमार ने कहा कि अक्षय ऊर्जा केवल एक ऊर्जा का स्रोत भर नहीं है, बल्कि यह यह वर्तमान में हमारी ऊर्जा जरूरतों को सततशील तरीके से सुलझाने का एक बेहतर औजार भी है। सीमा पार एनर्जी ट्रेड से संबंधित चुनौतियों तथा अवसरों पर अपनी बात रखते हुए बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष संजय भरतिया ने कहा कि नेपाल के पास 43,000 मेगावाट की पनबिजली ऊर्जा की संभावना है, जो कि आर्थिक और तकनीकी दृष्टि से व्यावहारिक है, वहीं बिहार में वरदानस्वरूप करीब 12559 मेगावाट अक्षय ऊर्जा संभावना विद्यमान है।
भारत-नेपाल एनर्जी ट्रेड के वर्तमान तथा भावी परिदृश्य को रेखांकित करते हुए आनंद सुमन-ईईईए पीएमसीए बीएसपीएचसीएल ने कहा कि सीमा पार ऊर्जा कारोबार से दोनों देशों को गर्मी और जाड़े में असमान ऊर्जा प्रबंधन को रेगुलेट करने में मदद मिलेगी, क्योंकि दोनों देशों की ग्रिड में अक्षय ऊर्जा की बढ़ोतरी के लिहाज से यह पहल महत्वपूर्ण है।
इस बैठक में विभिन्न सरकारी विभागों के पदाधिकारीगण, उद्योग जगत, थिंक टैंक्स, रिन्युएबल एनर्जी डेवलपर्स, इनवेस्टर्स ओर सिविल सोसायटी संगठनों के प्रतिनिधिगणों की भागीदारी रही। परिचर्चा में एकमत से सरकार से यह अपील की गई कि नेपाल के साथ सीमा पार अक्षय ऊर्जा व्यापार के प्रभावी क्रियान्वयन संबंधी मुद्दों को सार्थक तरीके से निपटाया जाए।