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नागरिकता संसोधन कानून की आड़ में हिंसा फैलाने वालों को जनता देगी जवाब : डॉ. प्रेम कुमार

हिन्दुस्तान ने अपना वादा पूरी तरह निभाया परन्तु पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों पर कितना अत्याचार हो रहा है, यह किसी से छिपा नहीं है।

पटना : बिहार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध पर विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि इस कानून से लोगों को गुमराह नहीं होना चाहिए। सच को जानने की कोशिश करनी चाहिए। विपक्ष लगातार देशवासियों में भ्रम फैला कर गुमराह करने का प्रयास कर रही है। जिसका जवाब उन्हें जनता आने वाले समय में निश्चित रूप से देगी।
उन्होंने वर्ष 1950 में हुए नेहरू-लियाकत समझौते का भी जिक्र करते हुए कहा, विभाजन के वक्त भीषण नरसंहार हुआ था। इसके कारण लाखों लोग अपना सब कुछ छोडक़र अपनी जान बचाने के लिए चल पड़े। विषम परिस्थितियों को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और लियाकत अली खान के बीच समझौता हुआ, जिसके तहत भारत और पाकिस्तान ने अपने-अपने यहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली थी। 
दोनों देशों ने यह तय किया था कि अपने-अपने अल्पसंख्यकों के जीवनयापन का ध्यान रखेंगे, लेकिन बाद के वर्षों में रास्ते बदल गए। हिन्दुस्तान ने अपना वादा पूरी तरह निभाया परन्तु पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों पर कितना अत्याचार हो रहा है, यह किसी से छिपा नहीं है। 
बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोग अल्पसंख्यक हैं। इन देशों में इनका उत्पीडऩ होता है। इसलिए भारत में पांच साल पूरा कर चुके इन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। इसमें किसी की नागरिकता जाने का सवाल कहा है। यह कानून तो नागरिकता देने के लिए बना है।
उन्होंने आगे कहा, वर्तमान समय में नागरिकता संशोधन अधिनियम के नाम पर जो हिंसा हो रही है, वह सीधे-सीधे मोदी सरकार को मिल रहे अपार जनसमर्थन को देख कर विपक्षी खेमे में उपजी कुंठा का परिणाम है। मोदी जी के शासनकाल में लिए गए तमाम बड़े फैसलों को देख कर उनके सीने पर सांप लोट रहे हैं। 
याद करे तो इससे पहले भी मोदी सरकार के हर निर्णय के बाद विपक्ष ने देशवासियों को सरकार के विरोध में खड़ा करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। लेकिन लोगों ने हर बार उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। हर बार  लोगों ने समझदारी दिखाई और इनके बहकावे में नहीं फंसे। नागरिकता संशोधन कानून पर भी विपक्ष का यही रवैया है। 
अपने निजी स्वार्थों के कारण वे देश की एकता को भी तोडऩे के लिए आमादा हैं। इस कानून पर दुष्प्रचार करने वाले तमाम दलों को यह समझना चाहिए कि देशहित के काम राजनीति से परे होते हैं। उसमें बेवजह बाधा डालने की कोशिश जनता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करने वाली।

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