पटना : संजय गांधी जैविक उद्यान, पटना के सभागार में राज्य आनंद संस्थान, आध्यात्म विभाग, मध्य प्रदेश द्वारा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अधिकारियों के लिए आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला अल्प विराम’को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शारीरिक,मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक विकास के लिए दया, प्रेम, करूणा, क्षमा को अंगीकार कर, खान-पान और जीवनशैली को संयमित और संतुलित कर, योग, व्यायाम, ध्यान और अपने इष्ट देवता के ध्यान को जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाना होगा।
जीडीपी की वृद्धि, आर्थिक प्रगति हमारी भौतिक जरूरतों को पूरा करती है, लेकिन हमारी प्रसन्नता, खुशी को सुनिश्चित नही करती है। खुशी और आन्तरिक शांति को मापना कठिन है। आज भूटान जैसे छोटे देश का हैप्पीनेस इंडेक्स दुनियां में अव्वल है। आर्थिक समृद्धि और संपन्नता ही सब कुछ नहीं है, मानसिक शांति और खुशी हमें अपने अंत:करण में झांककर खुद को ढूढऩे से मिलेगी। श्री मोदी ने कहा कि जिनका चित्त यश-अपयश, सुख-दु:ख, लाभ-हानि में एक समान हो, उसे स्थितप्रज्ञ कहते हैं। गीता के दूसरे अध्याय के श्लोकों में इसकी चर्चा है कि न्याय करने वाले, निर्णय लेने वाले व्यक्ति को स्थितप्रज्ञ होना चाहिए ताकि वह किसी सुख या दुख के भाव से रहित होकर उचित न्याय और निर्णय कर सके।
श्री मोदी ने बताया कि प्रकृति का गुण, धर्म और स्वभाव देना है। बिना मांगे, बिना भेददाव के वह हम सबको समान रूप से धूप, हवा, पानी, अन्न-फल समेत अपना सबकुछ प्रदान करती है। हम सब भी प्रकृति के अंश हैं, नि:स्वार्थ भाव से देने की खुशी और एहसास हमारे मन और हृदय को भारमुक्त कर प्रफुल्लित करता है। आनंद व मानसिक शांति के लिए शारीरिक स्वास्थ्यता, ध्यान-प्रणायाम का नियमित अभ्यास, भोजन आदि पर नियंत्रण होना चाहिए।