बिहार में कोरोना जांच में फर्जीवाड़े को लेकर अब सियासत तेज हो गई है। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद सरकार जहां जांच के लिए 12 टीमें गठित कर सभी जिलों में जांच करवाने तथा कई अधिकारियों और स्वास्थकर्मियों पर कार्रवाई करने का दावा कर रही है। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इसे ‘दिखावटी कार्रवाई’ और जांच बता रहा है।
बिहार में कोरोना जांच फर्जीवाड़े का मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इसकी जांच कराई जा रही है। इसमें जो भी लोग दोषी होंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने बताया है कि 22 जिलों की जानकारी ली गई है। एक जिले में कुछ गड़बड़ी सामने आई है, जहां तत्काल कार्रवाई की जा रही है।
उन्होंने कहा कि राज्यसभा में भी इससे संबंधित प्रश्न उठाया गया था, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को शुक्रवार को ही इसकी जानकारी भेज दी गई है। इधर, विपक्ष इसे लेकर सरकार को घेरने में जुटी है।
बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, अरबों का कोरोना घोटाला सामने आने के बाद नीतीश जी दिखावटी तौर पर जैसा कि पूर्व के 61 घोटालों में करते आए है छोटे स्तर के कर्मचारियों को बर्खास्त करने का नाटक रच, धन उगाही कर जेदयू को चुनावी चंदा देने वाले उच्च अधिकारियों को बचायेंगे। यही नीतीश कुमार की स्थापित नीति, नीयत और नियम है।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, बिहार में टेस्टिंग की संख्या 4 महीनों तक देश में सबसे कम रही। विपक्ष और जन-दबाव में नीतीश जी ने विपदा के बीच ही आंकड़ों की बाजीगरी नहीं करने वाले 3 स्वास्थ्य सचिवों को हटा दिया। फिर उन्होंने अपने जांचे-परखे आंकड़ों की बाजीगरी करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों को नियुक्त कर दिया।
उन्होंने कहा कि उसके बाद अगले 3 दिनों में ही टेस्टिंग की संख्या दोगुणी हो गई और लगभग 15 दिनों में यह संख्या एक लाख और 25 दिनों में दो लाख तक पहुंच गई। उन्होंने आगे कहा, उसी स्वास्थ्य संरचना से मात्र एक महीने से भी कम समय में यह प्रतिदिन जांच का आँकड़ा इतना गुणा कैसे बढ़ गया? सारा माजरा आंकड़ों के अमृत मंथन का है।
तेजस्वी के इस ट्वीट के बाद सत्ता पक्ष ने तेजस्वी पर पलटवार किया है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय कहते हैं कि जांच प्रारंभ कर दी गई है, जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तेजस्वी पर कटाक्ष करते हुए इशारों ही इशारों में कहा कि जिसके पूरे खानदान पर ही तरह-तरह के मामले चल रहे हों वह अब सवाल उठा रहा है। उल्लेखनीय है कि कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आने के बाद जमुई के सिविल सर्जन सहित पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है, इसके अलावा कई स्वास्थकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है।