पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद आर.के. सिन्हा राजनीतीक दलों पर कायस्थ समाज के साथ उपेक्षा करने का आरोप लगाकर कहा कि कायस्थों की राजनीतिक भागीदारी पर कहा कि कायस्थों का बिहार के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान रहा है। आज के दिन कायस्थ बिहार के सभी शहरी चुनाव क्षेत्रों में किसी को भी चुनाव जिताने या हराने की ताकत रखते हैं। ऐसे विधान सभा क्षेत्र 75 से ज्यादा हैं। अतः इनकी उपेक्षा तो नहीं होनी चाहिये।
सिन्हा ने 1952, 1957 और 1962 तक के चुनावों में बिहार में 50-60 की संख्या में कायस्थ चुनकर बिहार विधान सभा पहुंचते थे। विधान सभा अध्यक्ष डॉ. बिन्देश्वरी प्रसाद वर्मा और कम से कम तीन कैबिनेट मंत्री कायस्थ समाज से होते थे। लेकिन, हाल के चुनावों में सीटों के बंटबारे और कैबिनेट के गठन में कायस्थों की उपेक्षा तो हुई ही है। बिहार में कायस्थों की आबादी लगभग 4 प्रतिशत है।
कायस्थ समाज समझदार, सक्षम एवं योग्य हैं। मूल्यों के आधार पर राजनीति कर रहे हैं जिसके कारण ही उनको कष्ट भी हो रहा है। हमारी जो विनम्रता है उसको कमजोरी मान ली जाती है। कायस्थ समाज का वोट बंटता नहीं है, जबकि सभी जातियों के वोट सभी दलों में बंटते हैं। जबतक समाज कांग्रेस के साथ था तब पूरी तरह से था। आज जब एनडीए के साथ है, तब भी एकजुटता से ही है। लेकिन, एनडीए में शामिल सभी दलों को भी चाहिए कि कायस्थ समाज को टिकट बंटबारे में सम्मानजनक स्थान दें।