पटना (जेपी चौधरी) : देश में कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को पीएम मोदी ने वीडियो संदेश जारी कर लोगों से अपील की है कि वह 5 अप्रैल को रात 9 बजे 9 मिनट घर की लाइट बंद करके बालकनी या दरवाजे पर खड़े होकर टॉर्च, दीया, मोमबत्ती या मोबाइल फोन की फ्लैश लाइट जलाने का आग्रह किया है। यह वैश्नीक कोरोना महामारी से बचाने के लिए भारतीय संस्कृत में यह अनुष्ठान छोठा मोटा नहीं बहुत बड़ा है। कोरोना महामारी से लोग बच सकते हैं।
आज से हजारों साल पहले देवी -देवताओं राजा -महाराजाओं ऐसा अनुष्ठान किया करते थे। ताकि प्रजा का भला हो सके। तारीख 5 ही क्यों चुनी? रविवार ही क्यों चुना? 9 बजे का वक्त ही क्यों चुना? 9 मिनट का समय ही क्यों चुना? जब पूरा लॉकडाउन ही है तो शनिवार, शुक्रवार या सोमवार कोई भी चुनते क्या फर्क पड़ता? जिनको अंकशास्त्र की थोड़ी भी जानकारी होगी, उनको पता होगा कि 5अंकबुध का होता है,यह बीमारी गले फेफड़े में ही ज्यादा फैलती है, मुख गले फेफड़े का कारक भी बुध ही होता है,बुध राजकुमार भी है।
रविवार सूर्य का होता है। सूर्य ठहरे रुराजा साहब। दीपक या प्रकाश भी सूर्य का ही प्रतीक है 9 अंक होता है मंगल सेनापति, रात या अंधकार होता है शनि का। अब रविवार 5 अप्रैल को, जोकि पूर्णिमा के नजदीक है,मतलब चन्द्र यानी रानी भी मजबूत,सभी प्रकाश बंद करके, रात के 9 बजे, 9 मिनट तक टॉर्च दीपक फ़्लैश लाइट आदि से प्रकाश करना है।
चौघडिय़ा अमृत रहेगी, होरा भी उस वक्त सूर्य का होगा,शनि के काल में सूर्य को जगाने के प्रयास के तौर पर देखा जा सकता है। 9-9 करके सूर्य के साथ मंगल को भी जागृत करने का प्रयास। मतलब शनि राहु रूपी अंधकार महामारी को उसी के शासनकाल में में बुध सूर्य चन्द्र और मंगल मिलकर हराने का संकल्प लेंगे। जब किसी भी राज्य के राजा रानी राजकुमार व सेनापति सुरक्षित व सशक्त हैं, तो राज्य का कौन अनिष्ट कर सकता है भला।