पटना : हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (से0) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में बहुचर्चित राफेल डील के बारे में फैसला देने का काम किया है कि राफेल डील को ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी जेपीसी से जांच कराया जा सकता है और उसमें वित्तीय अनियमितता को नाकारा है।
श्री मांझी ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला है पर हम महसूस करते हैं कि राफेल का मूल प्रकाशित करने में किसी प्रकार की सुरक्षा चूक नहीं मानी जा सकती है। राफेल निर्माण एक स्वतंत्र एजेंसी को देना मेरे स
मझ से सुरक्षा चूक मानी जा सकती है। इस बिंदु को नजरअंदाज किया गया है। जबकि पहले एक एजेंसी को ही जो सरकार नियंत्रित रही है।
रक्षा संबंधी सामानों का क्रय-विक्रय का काम दिया जाता रहा। यह भी भारत सरकार की किसी निजी कंपनी विशेष को लाभान्वित करने का प्रयास रहा है। इसके अलावा किसी भी क्रय विक्रय के लिए एक टेंडर निकाला जाता रहा है और निम्नतम मूल का टेंडर देने वाले को काम का जिम्मा दिया जाता रहा है। पर राफेल डील में कोई टेंडर नहीं निकाल कर एक ऐसी कंपनी को दिया गया जिसका निबंधन 1 सप्ताह पूर्व हुआ।
यहां यह ध्यान देने की बात है जिस कंपनी को राफेल की जिम्मेदारी दी गई है उसके मालिक प्रधानमंत्री के साथ टूर में साथ ही थे | इस प्रकार से मैं समझता हूं कि राफेल डील में अनियमितताएं हुई हैं। मेरे सोच में भले ही माननीय उच्चतम न्यायालय के सामने सच्चाई उपस्थित नहीं किया गया। लेकिन हमारे द्वारा ऊपर अंकित तथ्य दिए गए हैं। इस तरह से हम कह सकते हैं कि राफेल डील में सरकार बच बचाओ की खेल खेल रही है। सच्चाई से जनता को दूर रखने की भरपूर कोशिश कर रही है।
श्री मांझी ने कहा कि राफेल डील से जुड़ा हुआ जो भी मामला है। अगर वह विवादास्पद है तो उसे जनता के बीच सही सही रखने की जरूरत है। जनता को सच्चाई से अवगत कराने की आवश्यकता है। यदि यदि भाजपा की मोदी सरकार ऐसा नहीं करती है तो जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। श्री मांझी ने कहा कि अभी अभी 5 राज्यों में हुए चुनाव परिणाम की जनता अपने निर्णय दे चुकी है हमें पूर्ण विश्वास है कि 2019 के संसदीय चुनाव में राफेल डील मैं हुई गवरी का पक्का पक्का हिसाब जनता भाजपा की सरकार से आने वाले लोकसभा चुनाव में एक बार फिर जरूर लेगी।