बिहार में सत्तारूढ जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद), उसके अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव एवं उनके परिवार के सदस्यों पर एक साथ हमला बोलते हुए आज कहा कि प्रदेश परिवारवाद, भ्रष्टाचार एवं अपराध की हिमायत करने वालों को नकार चुकी है।
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने यहां कहा कि जेल में दरबार लगाकर राजद अध्यक्ष लालू यादव ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यदि तुक्के से मिली झारखंड सरकार में एक छोटी हिस्सेदारी से कानून और जेल मैनुअल की धज्जी वह उड़ सकते हैं तो कहीं गलती से बिहार में उनकी कभी लॉटरी खुली तो फिर राज्य का क्या होगा, यह जनता जनता समझ गयी है।
राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि सामाजिक न्याय के नाम पर चंद सामाजिक समूहों को बरगलाकर सत्ता भोगने वाली स्वार्थपरक राजनीति का अंत हो चुका है। उन्होंने कहा कि चारा घोटाले के दूसरे मामले में दोषी लालू जी को पिछले वर्ष सीबीआई कोर्ट से सजा मिली है, लेकिन बिहार की जनता राजद को कब का खारिज कर चुकी है।
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गौरतलब है कि झारखंड की राजधानी रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा की टीम ने रांची जिला पुलिस के साथ चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता राजद अध्यक्ष लालू यादव से प्रतिदिन लोगों के मिलने की खबर वायरल होने के बाद राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में उनके वार्ड में रविवार को छापेमारी की। हालांकि जेल मैनुअल के अनुसार, लालू यादव को प्रत्येक सप्ताह शनिवार को अधिक से अधिक तीन लोगों से मिलने की ही अनुमति प्राप्त है।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि चारा घोटाले और बेनामी संपत्ति के कई मामलों में राजद अध्यक्ष एवं उनके परिजन जिस तरह कानूनी प्रक्रियाओं की जद में हैं, उससे साफ हो गया है कि इस परिवार और पार्टी के लिए राजनीति का मतलब सेवा नहीं, केवल सत्ता हासिल करके घर भरने का साधन मात्र है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि इन सबके दुर्भाज्ञ से बिहार में लूट-खसोट की राजनीति का दौर समाप्त हो चुका है।
राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि बिहार अब विकास और सुधार के नए दौर में है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार, अराजकता और अपराध के 15 साल लंबे काले दौर से बिहार को बाहर निकालकर तेज विकास एवं व्यापक सुधार की राह पर डाल दिया है। जदयू प्रवक्ता ने कहा कि हमारी न्यायपालिका और लोकतंत्र दोनों चैकस हैं। उन्होंने कहा कि घर भरने वाली राजनीति करने वालों को न जनता माफ करती है न अदालत। इसलिए, किसी को राजनीति करनी है तो विकास में योगदान करें और सेवा का व्रत लें।