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बिहार में रक्षक खुद हो रहे हिंसा का शिकार, बैठक में हुआ खुलासा- राज्य में बढ़ रहे पुलिस टीमों पर हमलों के मामले

बिहार देश के उन कुछ राज्यों में शामिल है जहां अपराधी पुलिस कर्मियों पर खुलेआम और दिनदहाड़े हमला करने से नहीं हिचकिचाते हैं।

बिहार देश के उन कुछ राज्यों में शामिल है जहां अपराधी पुलिस कर्मियों पर खुलेआम और दिनदहाड़े हमला करने से नहीं हिचकिचाते हैं। बिहार में पुलिस टीमों पर हमले के कई उदाहरण हैं जहां शराब माफिया, रेत माफिया, बाहुबली (बलवान), कुख्यात अपराधियों के अलावा राजनीतिक नेता पुलिस पर हमला करने में शामिल होते है। 3 अक्टूबर को गोविंदपुर थाना क्षेत्र के लखपत बीघा गांव में एक शराब माफिया ने छापेमारी कर एक एसएचओ समेत 6 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
गोविंदपुर थाने के एसएचओ नरेंद्र प्रसाद ने कहा कि हमें पता चला कि लखपत बीघा में एक देशी शराब निर्माण इकाई चालू थी। हमने छापेमारी की और शराब इकाई में मौजूद कुछ लोगों को गिरफ्तार किया। जब हम थाने लौट रहे थे, तो महिलाओं सहित शराब माफिया ने हम पर हमला कर दिया। शराब माफिया ने गांव की बिजली काट दी और पुलिस टीम पर पथराव कर दिया। उन्होंने पुलिस कर्मियों को डंडों और लोहे की रॉड से भी पीटा। वे गिरफ्तार लोगों को पुलिस वैन से छुड़ाने में सफल रहे। शराब निर्माण इकाई को बुधन यादव और उनके पिता राम बृक्ष यादव चलाते थे।
उसी दिन (3 अक्टूबर) को सीतामढ़ी जिले में एक नवनिर्वाचित मुखिया (ग्राम प्रधान) के समर्थकों ने एक पुलिस दल पर पथराव किया और उन्हें डंडों से भी पीटा। वहीं नानपुर थाना क्षेत्र के गौरी गांव में योगेंद्र मंडल के समर्थक डीजे बजाकर उनकी जीत का जश्न मना रहे थे। जब अन्य ग्रामीणों ने इसकी शिकायत की, तो एएसआई आरके यादव के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गांव पहुंची और जश्न मनाने वालों से आवाज कम करने को कहा, लेकिन उन पर हमला कर दिया गया।
हमले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जिला एसपी प्रमोद कुमार यादव ने कहा कि वर्तमान में उपलब्ध वीडियो फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान चल रही है। उसके अनुसार मामला दर्ज किया जाएगा। पटना पुलिस और नगर निगम की एक संयुक्त टीम पर मलाही पकड़ी इलाके में भी हमला किया गया, अतिक्रमणकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और उन पर डंडों, बेसबॉल बैट और हॉकी स्टिक से पीटा भी।
अतिक्रमणकारियों को सड़क से हटाने के लिए मौके पर पुलिस की टीम पहुंची थी। ग्रामीणों ने हालांकि दावा किया कि वे कई वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे थे और पुलिस दल यहां उनकी झोपड़ियों को हटाने के लिए आए थे। बिहार पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक इस साल अगस्त में पुलिस टीमों पर हमले के 24 मामले सामने आए। एडीजी (कानून व्यवस्था) विनय कुमार की अध्यक्षता में बिहार पुलिस की मासिक बैठक में यह खुलासा हुआ है।
गया, वैशाली और नालंदा जिलों में तीन-तीन मामले दर्ज किए गए। नवादा, औरंगाबाद और बेगूसराय में दो-दो और पूर्णिया, खगड़िया, बांका, बाघा, दरभंगा, गोपालगंज, सीवान, कटिहार और मुजफ्फरपुर जिलों में एक-एक मामला दर्ज किया गया। हमने जिलों के सभी एसपी और एसएसपी को पुलिस कर्मियों पर हमले में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। हर जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखना बेहद जरूरी है ताकि ऐसी घटनाएं न हों। 
हमने शीर्ष से भी पूछा है हर जिले के अधिकारी शराब निर्माण इकाइयों पर छापेमारी, बालू माफिया के खिलाफ कार्रवाई या आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार करने से पहले पूरी तैयारी सुनिश्चित करें। एडीजी ने कहा कि बड़े छापे के मामले में, डीएसपी रैंक के अधिकारियों को छापेमारी टीमों का नेतृत्व करना चाहिए और अधिकारियों को एसपी और एसएसपी को अग्रिम रूप से छापे की सूचना देनी चाहिए। हमने आरोपियों के खिलाफ त्वरित सुनवाई और मुकदमा चलाने की भी मांग की है।

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