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Bihar election : तीसरे चरण में राजद और जदयू को सीट बचाना चुनौती, भाजपा बढ़त बनाने में जुटी

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 71 और दूसरे चरण में 94 सीटों पर मतदान हो चुके हैं, सात नवंबर को तीसरे और अंतिम चरण के लिए मतदान होना है।

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 71 और दूसरे चरण में 94 सीटों पर मतदान हो चुके हैं, सात नवंबर को तीसरे और अंतिम चरण के लिए मतदान होना है। तीसरे चरण को लेकर सभी दलों के नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इसी के मद्देनजर गुरुवार की शाम चुनाव प्रचार थम जाएगा।
इस चरण का चुनाव तो ऐसे सभी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल जनता दल (युनाइटेड) के लिए जहां अपनी पुरानी सीटों को बचाए रखना चुनौती है वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता 2010 के चुनाव वाली सफलता दोहराने के लिए मेहनत कर रही है। 
इस चरण में भाजपा 35 सीटों पर चुनाव लड़ रही है वहीं उसकी सहयोगी जदयू ने 37 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं। इसके अलावा राजग में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के पांच और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के एक प्रत्याशाी चुनावी मैदान में है। दूसरी ओर महागठबंधन में राजद 46 सीटों पर जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस 25 सीटों में चुनावी मैदान में है। 
पिछले चुनाव में महागठबंधन ने 78 में से 54 सीटें जीत ली थीं, लेकिन इस चुनाव में स्थिति बदल गई है। जदयू और भाजपा के साथ आ जाने के बाद राजद को पुरानी सफलता को बनाए रखना चुनौती है। राजद पिछले चुनाव में इस क्षेत्र से 20 सीटें अपनी झोली में डाली थी। यही हाल जदयू की भी है। जदयू ने पिछले चुनाव में 23 सीटों पर विजय दर्ज की थी। तीसरे चरण के चुनाव में राजद और जदयू 23 सीटों पर आमने-सामने हैं जबकि 20 सीटों पर राजद का भाजपा से कांटे की लड़ाई है। कांग्रेस भी 14 सीटों पर भाजपा और नौ सीटों पर जदयू के मुकाबले में खड़ी है। वर्ष 2010 में भाजपा को मिली 91 सीटों में से 27 सीटें इस क्षेत्र से आई थी, यहीं कारण है कि भाजपा इस क्षेत्र में अपने पुराने इतिहास को दोहराने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। 
वैसे, कोशी और सीमांचल का चुनाव किसी भी दल के लिए आसान नहीं रहा है। यहां का गणित बराबर उलझा रहा है। सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) पहले से ही इस मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में अपने प्रत्याशी उतारकर राजद के मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगाने की तैयारी में है। महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के लिए भी इस चरण का चुनाव कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। इस चरण में पार्टी के आधे निवर्तमान विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। पिछले चुनाव में पार्टी ने 27 सीटों पर चुनाव जीता था, लेकिन उसकी चार सीटिंग सीटें सहयोगी दलों के खाते में चली गई है। 
इस चुनाव में कांग्रेस को जो 70 सीटें मिली हैं, उसमें 23 सीटिंग हैं, जिसमें इसी चरण में 11 सीटें हैं, जिनमें फिर से अपने कब्जे में रखना बड़ी चुनौती है। बहरहाल, सभी दल अपनी स्थिति में सुधार को लेकर कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन मतदाता किसे पसंद करेंगे इसका पता तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा, जब मतगणना के बाद परिणाम घोषित किया जाएगा। 

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