राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू यादव को बड़ी राहत मिली है। अरबों रुपये के बहुचर्चित चारा घोटाला के डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में सजायाफ्ता लालू को जमानत मिल गयी है। 139 करोड़ रुपये की निकासी मामले में आरजेडी प्रमुख को दोषी पाया गया था।
जमानत याचिका का CBI ने किया विरोध
लालू की ओर से डोरंडा कोषागार में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की गई थी। हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई के पहले कोर्ट के आदेश के मुताबिक सीबीआई की ओर से अपना पक्ष कोर्ट में पेश कर दिया गया है। सीबीआई की ओर से कोर्ट को बताया कि लालू प्रसाद के सजा की आधी अवधि अभी पूरी नहीं हुई है, वैसी स्थिति में उन्हें जमानत दिया जाना उचित नहीं होगा।
53 मामलों में से डोरंडा कोषागार सबसे बड़ा मामला
सीबीआई ने 1996 में अलग-अलग कोषागारों से गलत ढंग से अलग-अलग राशियों की निकासी को लेकर 53 मुकदमे दर्ज किए थे। ये रुपयों को संदिग्ध रूप से पशुओं और उनके चारे पर खर्च होना बताया गया था। जिसके बाद इस घोटाले को 'चारा घोटाला' नाम दिया गया। चारा घोटाले के 53 मामलों में से डोरंडा कोषागार का मामला सबसे बड़ा था। जिसमें 170 आरोपी शामिल हैं। इसमें से 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है।
चारों मामलों में जमानत पर लालू
चारा घोटाले से जुड़े चार मामले में लालू यादव को सजा मिल चुकी है। और वह सभी चार मामलों में जमानत पर हैं।चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ के अवैध निकासी में लालू को 5 साल की सज़ा हुई थी। देवघर कोषागार से 79 लाख के अवैध निकासी के घोटले के दूसरे मामले में भी उन्हे साढ़े 3 साल की सज़ा सुनाई गई थी।
लालू को 33.13 करोड़ के चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के तीसरे मामले में 5 साल की सज़ा हुई थी। दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ की अवैध निकासी के चौथे मामले में उन्हें दो अलग-अलग धाराओं में 7-7 साल की सज़ा सुनाई गई थी।