राजद के विधायक सुधाकर सिंह लगातार सीएम नीतीश कुमार पर हमलावर हैं। उनका यह तेवर जदयू को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है। जदयू कार्रवाई चाहता है ताकि गठबंधन में संदेह की कोई स्थिति नहीं आए। इसी मामले में जदयू के प्रदेश प्रवक्ता, पूर्व विधान पार्षद डाॅ0 रणबीर नंदन ने कहा है कि जब से महागठबंधन बना है तब से ही सुधाकर सिंह ने इसे कमजोर करने का हर प्रयास किया है। राजद ने तो उन्हें मंत्री बना दिया लेकिन मंत्री बनते ही सुधाकर सिंह ने सारी मर्यादा तोड़ दी। जबकि दूसरी ओर जदयू ने हमेशा गठबंधन धर्म का पालन किया है। जदयू के किसी नेता ने राजद के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं किया है। सुधाकर सिंह की बयानबाजी से पूरा जदयू आंदोलित है।
प्रो0 नंदन ने कहा कि अगस्त 2022 में सुधाकर सिंह मंत्री बनाए गए थे। इसके बाद एक माह के अंदर ही सरकार पर अनर्गल आरोप मढ़ना शुरू कर दिया था। कृषि के बारे में अफवाह फैलाते सुधाकर सिंह को न किसानों के बारे में जानकारी है और न ही कृषि के बारे में और न ही बिहार के बारे में। लेकिन वे अनर्गल बातें करते रहे और राजद प्रशासन सुनता रहा। सितंबर 2022 से दिसंबर 2022 तक कुल 11 ऐसे मौके आए जब सुधाकर सिंह ने सार्वजनिक तौर पर माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के खिलाफ सत्य से परे जाकर बातें कीं।
सुधाकर सिंह के तमाम बयान सार्वजनिक हैं। उन्होंने जो जवाब दिया है वो भी सार्वजनिक है। उस जवाब में तो सुधाकर सिंह ने न सिर्फ माननीय नीतीश कुमार जी के खिलाफ जहर उगला है बल्कि अपनी ही पार्टी के नेतृत्व पर भी सवाल उठा दिए हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि माननीय उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बार बार कहने के बाद भी उन पर कार्रवाई हो क्यों नहीं रही है? जबकि सुधाकर सिंह की पूरी बातें अनुशासनहीनता से प्रेरित दिख रही है।
प्रो0 नंदन ने कहा कि एनडीए की सरकार में भाजपा के कुछ नेता सरकार के साझीदार का लुत्फ भी उठाते थे और नीतीश कुमार जी के प्रति अनर्गल प्रलाप भी करते थे। राजद द्वारा सुधाकर सिंह पर कार्रवाई नहीं करना भी, इसी श्रेणी में प्रतीत हो रहा है। क्योंकि राजद सत्ता में साझीदार तो है ही। लेकिन सुधाकर सिंह जैसे सरकार और गठबंधन विरोधियों पर कार्रवाई नहीं कर विश्वास की धारा को कमजोर भी कर रही है। राजद नेतृत्व को आगे बढ़कर उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए और सुधाकर सिंह पर अविलंब कार्रवाई गठबंधन धर्म का पालन करना चाहिए।