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बिहार की सियासत में मच रहा बवाल, कभी सत्ता पक्ष बेहाल तो कभी विपक्ष का बुरा हाल

बिहार विधानमंडल के चल रहे बजट सत्र में सदन के बाहर और भीतर विपक्ष के ‘शब्दों के तीर’ से सत्ता पक्ष लगातार घिरती जा रही है।

बिहार विधानमंडल के चल रहे बजट सत्र में सदन के बाहर और भीतर विपक्ष के ‘शब्दों के तीर’ से सत्ता पक्ष लगातार घिरती जा रही है। सत्ता पक्ष भले ही विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव में अनुभव की कमी कह कर अपनी भड़ास निकाल रहा है, लेकिन विपक्ष किसी भी मुद्दे पर सत्ता पक्ष को घेरने से नहीं चूक रहा है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेतृत्व वाले महागठबंधन को सत्ता भले ही नहीं मिली हो लेकिन राजद राज्य की सबसे बडी पार्टी बनकर सामने आई। इसके बाद ही विपक्ष के तेवर से इस बात के संकेत मिलने लगे थे कि राजद किसी भी मुद्दे पर सत्ता पक्ष के साथ 2-2 हाथ करने को तैयार होगी।
चुनाव के बाद जब मंत्रिमंडल का गठन किया गया तब शिक्षा मंत्री बने मेवालाल चौधरी को विपक्ष के दबाव में इस्तीफा देना पडा। विधानमंडल के बजट सत्र को भी देखा जाए तो विपक्ष सत्ता पक्ष को घेरने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड रहा है।विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा सदन चलाने में भी सफल रहे हैं। विपक्ष सरकार को घेरने के किसी भी मुद्दे को हाथ से जाने नहीं देना चाहती है। हाजीपुर में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की योजना का उद्घाटन विभागीय मंत्री मुकेश सहनी के बदले उनके भाई ने कर दिया। इस दौरान उन्हें सरकारी प्रोटोकॉल भी मिला। इस मामले को लेकर बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के दोनों सदनों में भारी हंगामा हुआ। 
दोनों सदनों में सरकार को जब कठघरे में खड़ा किया गया तो सत्ता पक्ष की भारी फजीहत हुई। हंगामे के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हस्तक्षेप करना पड़ा और बाद में मंत्री को भी अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ी। इसके बाद कई दिनों तक विपक्ष मंत्री रामसूरत राय के भाई के बहाने सरकार को घेरते रहा। इधर, विपक्ष शराबबंदी के मुद्दे पर भी सरकार को घेरता रहा है। विपक्ष लगातार मंत्रियों पर भी प्रश्न का सही उत्तर नहीं देने का आरोप लगाता रहा है। विधानसभा में सोमवार को तो अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने गन्ना मंत्री प्रमोद कुमार के मंत्री बनाए जाने पर ही सवाल उठा दिए।
एक प्रश्न के उत्तर में गन्ना मंत्री जवाब दे रहे थे तभी सवाल के जवाब के बीच में ही तेजस्वी ने सत्ता पक्ष की तरफ इशारा करते हुए कहा, अरे यार, गजब करते हैं। आप लोग कैसे मंत्री बना दिया, जवाब देने आता नहीं। कौन-कौन कहां-कहां से आ जाते हैं, यार। इसके बाद सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया। उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने तो इसे परंपरा के खिलाफ बताते हुए कहा कि ऐसे सदन नहीं चल सकता। राजद के महासचिव आलोक मेहता कहते हैं कि बिहार सरकार सवालों का जवाब तक सही नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष का सवाल करने का हक है।
सत्ता पक्ष भी विपक्ष के इन आचरणों को लेकर मुखर है। जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह कहते हैं कि मंत्री तेजस्वी यादव से ज्यादा पढ़े लिखे और काबिल हैं। जनता ने उनको चुनकर सदन में भेजा है। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में विरोधी दल के नेता पद की अपनी मर्यादा है, लेकिन बिना संघर्ष के कुर्सी मिल जाने से वे इसकी गरिमा नहीं समझ पा रहे हैं। विपक्ष के नेता दो दिन पूर्व सदन में विपक्ष को तरजीह नहीं दिए जाने को लेकर राजभवन मार्च तक कर चुके हैं।

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