कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव हिंदी सिनेमा की सस्पेंस और थ्रिलर से भरी फिल्म से कम नहीं लग रहा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मिलने जा रहे इस पद को लेकर जब राजस्थान में बवाल हुआ तो कांग्रेस आलाकमान इससे खासे नाराज हुए, नतीजा गहलोत अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो गए। जिसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने नामांकन भरा। जिसके बाद ये चुनाव खड़गे बनाम थरूर हो गया।
अगर मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष बनते हैं तो वह आजादी के बाद कांग्रेस के 11वें गैर-गांधी (नेहरू-गांधी परिवार से अलग) अध्यक्ष होंगे। माना जा रहा है कि पार्टी आलाकमान गांधी परिवार से बाहर का चेहरा चुनकर पार्टी परिवारवाद की धारणा को तोड़ना चाहती है। इस बीच बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि "कांग्रेस पार्टी का नया अध्यक्ष गांधी परिवार की कठपुतली होगा।"
गांधी परिवार को क्यों है खड़गे पर भरोसा?
गांधी परिवार ने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए गहलोत के पीछे हटने के बाद खड़गे पर भरोसा जताया है। पर इस भरोसे के पीछे कई वजहें हैं। खड़गे की गिनती कांग्रेस परिवार के वफादारों में होती है। उसी वफादारी का इनाम है जो वो आज कांग्रेस के अध्यक्ष बनने की राह पर हैं। कर्नाटक की राजनीति से लेकर केंद्र की राजनीति तक उन्होंने अपनी अनूठी छाप छोड़ी है।
अकेले पड़े थरूर
कांग्रेस को जल्द ही उसका राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने वाला है, नेताओं ने नामांकन करना शुरू कर दिया है। वहीं खड़गे चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गए है। गहलोत से लेकर दिग्विजय सिंह का समर्थन उन्हें मिल रहा है। इस रेस में शशि थरूर जबकि अकेले रह गए है। उम्मीद जताई जा रही की खड़गे ही पार्टी के अध्यक्ष बनेंगे।
खड़गे का बैकग्राउंड कांग्रेस को दिलाएगा फायदा!
मल्लिकार्जुन को चुनाव लड़ाने से कांग्रेस को सबसे बड़ा फायदा ये मिलने वाला है कि वो दलित समाज से आते है और कांग्रेस के कोर वोटर्स दलित ही है। खड़गे के अध्यक्ष बनने से लोगों के बीच अच्छा मैसेज जाएगा। वही दूसरी वजह है कि खड़गे सालों से पार्टी के करीबी नेता रहे है। उन्हें काफी अच्छा अनुभव रहा है। ऐसे में अगर खड़गे अध्यक्ष बनते हैं, तो ये तय है कि कुछ भी हो जाए वे पार्टी हाईकमान को चुनौती नहीं देंगे।