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सुशील मोदी ने नीतीश सरकार पर बोला हमला, मोर्चाबंदी की कोशिश को बताया सुर्खियों में बने रहने की चाल

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने गृह राज्य में भाजपा को राजनीतिक रूप से अलग-थलग करने के बाद अब देशभर में भाजपा खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विरोधी दलों का मोर्चा तैयार करने की मुहिम में जुटे हुए हैं।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने गृह राज्य में भाजपा को राजनीतिक रूप से अलग-थलग करने के बाद अब देशभर में भाजपा खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विरोधी दलों का मोर्चा तैयार करने की मुहिम में जुटे हुए हैं। एक तरफ जहां वह सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के साथ मुलाकात कर देश के सबसे बड़े विपक्षी राजनीतिक दल को साधने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं विपक्ष में होने के बावजूद कांग्रेस का विरोध करने वाली ममता बनर्जी को भी साथ लेने की कोशिश कर रहे हैं। एक जमाने में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ चुके और अब कांग्रेस से गठबंधन नहीं करने की बात करने वाले सपा मुखिया अखिलेश यादव को भी नीतीश कुमार अपने साथ लेने की कोशिश कर रहे हैं। लालू यादव की पार्टी आरजेडी तो बिहार में उनके साथ मिलकर पहले से ही सरकार चला रही है और इसके अलावा नीतीश कुमार कई अन्य विरोधी दलों को भी अपने साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ विरोधी दलों का एक मजबूत और संयुक्त मोर्चा खड़ा किया जा सके।
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खबरों में बने रहने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट कर रहे है नीतीश
हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेता और जेडीयू-भाजपा गठबंधन के दौर में लंबे समय तक नीतीश कुमार के साथ उपमुख्यमंत्री के तौर पर काम कर चुके सुशील मोदी नीतीश कुमार की इन कोशिशों को बहुत ज्यादा तवज्जो देने को तैयार नहीं है। मीडिया से बात करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार सिर्फ सुर्खियों में, चर्चा में और देशभर में मीडिया की खबरों में बने रहने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने की बात करते रहते हैं, इससे ज्यादा उन्हें कुछ हासिल होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों में यह साबित करने की होड़ लगी हुई है कि बड़ा नेता कौन है, इसलिए सिर्फ नीतीश कुमार ही देशभर में नहीं घूम रहे हैं बल्कि ममता बनर्जी और के. चन्द्रशेखर राव भी इसी तरह के अभियान में लगे हुए हैं।
 सुशील मोदी ने कहा,बिहार  चुनाव  में नीतीश गठबंधन का होगा सफाया
2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव में बिहार में नीतीश गठबंधन के सफाये की भविष्यवाणी करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार की वही हालत होने वाली है जो 2019 के लोक सभा चुनाव में चन्द्रबाबू नायडू की हुई थी। नीतीश के समर्थक मतदाता तेजस्वी यादव को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं और लोक सभा चुनाव में उनका समर्थक वोट बैंक भी भाजपा के साथ आ जाएगा। भाजपा नेता ने 2024 के लोक सभा चुनाव में बिहार में नीतीश गठबंधन के सफाया होने का दावा करते हुए कहा कि इनका समर्थक वोट बैंक भाजपा की तरफ आना शुरू हो चुका है और लोक सभा चुनाव में यह नरेंद्र मोदी को वोट करेगा। विपक्षी दलों के मोर्चे को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अभी तक इस देश में सिर्फ दो बार विपक्षी दलों का गठबंधन बना है।
आपातकाल के खिलाफ हुए थे सभी विपक्ष दल एकजुट
पहली बार इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के खिलाफ 1977 में विपक्षी दल एक साथ आए थे और दूसरी बार 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में हुए बोफोर्स घोटाले के खिलाफ वीपी सिंह के नेतृत्व में विपक्षी दलों का मोर्चा बना था लेकिन आज हालात बिल्कुल अलग है। आज न तो आपातकाल और न ही बोफोर्स जैसे किसी घोटोले का मुद्दा है और न ही आज विपक्ष में जेपी या वीपी सिंह जैसा कोई नेता है। उन्होंने कहा कि इससे पहले जब विपक्षी दल एक साथ आए थे उस समय तत्कालीन सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप था लेकिन आज तो उल्टा है। आज विपक्षी दलों पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हुए हैं। इसलिए आज के दौर में विपक्षी एकता सिर्फ एक मृगमरीचिका है।
विपक्ष एकता पर उठाए सवाल
उन्होंने उत्तर प्रदेश में अखिलेश-मायावती और कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के मिलकर लोक सभा चुनाव लड़ने का उदाहरण देते हुए कहा कि पहली बात तो यह है कि विपक्षी दलों का एक साथ आना संभव नहीं है और अगर ये एक साथ आ भी जाते हैं तो भी परिणाम उत्तर प्रदेश और कर्नाटक की तरह ही आएगा क्योंकि देश की जनता भाजपा के साथ खड़ी है, प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़ी है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि विपक्षी दलों में कोई भी क्षेत्रीय नेता किसी दूसरे क्षेत्रीय दल के नेता को अपना नेता स्वीकार करने को तैयार नहीं है तो इनके एक साथ आने का सवाल ही कहां खड़ा होता है।
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