बिहार में दलितों की हालत दयनीय, उनके लिए वनी योजनाओं में भारी लूट : विजय कुमार सिन्हा

बिहार में दलितों की हालत दयनीय, उनके लिए वनी योजनाओं में भारी लूट : विजय कुमार सिन्हा
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भाजपा विधानमंडल दल के नेता विजय कुमार सिन्हा ने भीम संसद रैली को असफ़ल क़रार देते हुए कहा है कि भीम संसद औऱ विशेष राज्य के दर्जा के बहाने मुख्यमंत्री अपना आख़िरी राजनीतिक दाव चल रहें हैं परंतु वे इसमें भी असफल होंगें।
श्री सिन्हा ने कहा कि 33 वर्षों से छोटे भाई बड़े भाई की सरकार रही है परंतु अंतिम पंक्ति में वैठे व्यक्ति आगे नहीं आ सके हैं।यह दर्शाता है कि इनका दलित प्रेम दिखाबा है।
श्री सिन्हा ने कहा कि महागठबंधन की सरकार ने बिहार में दलितों और महादलितों की बेहतरी की योजनाओं में लूट खसोट को रोकने में विफल रही है।इनके लिए छात्रवृत्ति योजना से लेकर इन्हें आवास देने तक की योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार के कारण बिहार के बड़े प्रशासनिक अधिकारी जेल जा चुके है।इनके कोटा का सरकारी नौकरी में आरक्षित सीट भी नहीं भर पा रहा है।राज्य सरकार की नौकरियों में अभी भी इनकी संख्या काफी कम है।इन सब में सुधार लाने के वजाय ये भीम संसद कर रहे हैं।
श्री सिन्हा ने कहा कि विधानसभा के अंदर पूर्व मुख्यमंत्री श्री जीतन राम माँझी का मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा बेइज्जती की गई उसे देश ने लाइव देखा।एक महादलित पूर्व मुख्यमंत्री के लिए जिस प्रकार अपमानजनक, तिरस्कारपूर्ण औऱ घृणित भाषा का उपयोग किया गया उसे सभ्य समाज कभी स्वीकार नहीं कर सकता है। बिहार विधानसभा के इतिहास में किसी पूर्व मुख्यमंत्री को इस प्रकार अपमानित नहीं किया गया था।स्व रामविलास पासवान जैसे कद्दावर नेता का भी मुख्यमंत्री कई बार अपमान कर चुके हैं।इनका दलित विरोधी स्वभाव जगजाहिर है।
श्री सिन्हा ने कहा कि भीम संसद में मुख्यमंत्री की टिप्पणी कि 2005 के पहले बिहार में शाम के बाद घर से कोई नहीं निकलता था ,पर राष्ट्रीय जनता दल को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।तेजस्वी जी के माता पिता ही2005 से पूर्व बिहार के मुख्यमंत्री थे।मुख्यमंत्री की वैचारिक दरिद्रता इस वयान में साफ साफ झलक रही है क्योंकि बार बार औऱ अभी भी वे उन्हीं के गोद में वैठे है।इसलिए उनका बयान हल्का और हास्यास्पद है।
श्री सिन्हा ने कहा कि भीम संसद में महागठबंधन के अन्य किसी दल की भागीदारी नहीं होना रहस्यमयी है।इस सम्मेलन के आयोजन में सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया गया।परन्तु जदयू औऱ मुख्यमंत्री की मानसिकता से बिहार के दलित महादलित परिचित हैं।इसलिए यह रैली असफल हो गई।

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